- by Dr. Ms Asmita Chhabra
- in चाय : वरदान या अभिशाप
- at 02 Feb, 2019
चाय : वरदान या अभिशाप

चाय आज घर घर में पिया जाने वाला एक लोकप्रिय पेय पदार्थ है और वैश्विक स्तर पर संस्कृति का हिस्सा बनचुका है | यह camellia thea नामक एक सदाबहार झाड़ी की पत्तियों और बीजों से बनती है | चाय की विश्व भर में3000 से अधिक किस्में पाई जाती हैं जिनकी भिन्न - भिन्न रासायनिक संरचना के कारण उनके गुणों में अंतर होताहै | एतिहासिक रूप से चाय का चलन चीन से यूरोप, जापान, श्रीलंका होता हुआ विश्व भर के देशों में पहुंचा |
रासायनिक संरचना
चाय की पत्तियों में alcaloid - caffiene; pigment - epitheafrigallin , epitheafrigallin – 3 - 0 gallate and theafragallin ; flavonoid glycosides-camelliania A and B; tannin ;acids; kaempferol; quercetin; theophylline; theobromine; xanthine; hypoxanthine; adenine; gums; dextrins and inositol होते हैं |
लाभदायक प्रभाव
चाय के अधिकाँश लाभ इसमें मिलने वाले antioxidants के कारण से होते हैं। हमारे शरीर में विभिन्न प्रक्रियाओंद्वारा कुछ हानिकारक पदार्थ उत्पन्न होते रहते हैं जिन्हें free radicals कहते हैं।
आहार और सांस के माध्यम से भीयह हमारे शरीर में पहुँचते हैं | यह अत्यंत सक्रिय रसायन होते हैं तथा slow
chain
reactions के द्वारा हृदय रोगों वकैंसर का कारण बनते हैं | चाय में मौजूद antioxidants, free
radicals द्वारा शारीरिक कोशिकाओं को पहुँचने वालीक्षति को रोकते हैं और क्षत कोशिकाओं की मरम्मत भी करते हैं | चाय के कुछ प्रसिद्द antioxidants हैं : Vitamin C एवं Betacarotin |
Flavonoids नाम के antioxidants, cholesterol एवं triglyceride का स्तर कम करते हैं |
चाय में मौजूद epigallocatechin gallate नाम का compound अपने antiproliferative action के कारण फेफड़ोंका कैंसर की सम्भावना को कम करता है |
हानिकारक प्रभाव
चाय में मौजूद कैफ़ीन के कारण चाय की लत पड़ जाती है |
चाय पीने से शुरू में तो उत्तेजना के कारण अच्छा महसूस होता है पर बाद में सुस्ती , कमज़ोरी , थकान औरचिड्चिड़ेपन का एहसास होता है |
चाय में मौजूद कैफ़ीन, stomach में acid उत्पादन की गति को बढ़ा देती है जिससे खट्टे डकार आना, पेट में जलन,अपच और peptic ulcer को बढ़ावा मिलता है |
चाय, small intestine की दीवारों पर परत बना कर भोजन के absorption में बाधा उत्पन्न करती है |
चाय की कैफ़ीन बेचैनी, चिंता depression बढ़ाती है, सरदर्द का कारण बनती है |
चाय पीने वालों की नींद गहरी नहीं होती |
कैफ़ीन, blood sugar का स्तर बढ़ा कर diabetes की समस्याओं में वृद्धि का कारण बनती है |
Kidneys और liver को कैफ़ीन के कारण अधिक कार्य करना पड़ता है | इसलिए इन अंगों के रोगियों के लिए चाय , कॉफी का उपयोग कष्ट बढ़ाने वाला होता है |
दुविधा
प्रचार माध्यमों और शोध पत्रिकाओं में चाय के पक्ष और विरोध में आती नित नई जानकारी के कारण आम आदमीदुविधा में रहता है: चाय पिये या न पिये | पीता है और डरा डरा रहता है कि कहीं वह अपने आपको नुकसान तो नहींपहुँचा रहा |
सुझाव
दिन में 2-3 कप चाय पीना स्वस्थ व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं होता किन्तु इससे अधिक चाय हानिकारक होसकती है |
यूनानी चिकित्सा पद्धति में काढ़े और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में क्वाथ, जड़ी बूटियों की चाय ही होती है जो रोगदूर करने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं |
ब्लैक टी की अपेक्षा ग्रीन टी, अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्य वर्धक है |
विविध प्रकार की हर्बल चायों का ज़िक्र फिर कभी........
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