- by Dr Prahlad Chawla
- in डायबिटीज शंकाएं, भ्रन्तियां एवं समाधान
- at 22nd May, 2019
डायबिटीज शंकाएं, भ्रन्तियां एवं समाधान

डायबिटीज शंकाएं, भ्रन्तियां एवं समाधान
भारत में डायबिटीज पीड़ितो की संख्या सबसे अधिक है इसलिए भारत को दुनिया में डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है।
डायबिटीज एक अत्यन्त आम बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
50 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों में डायबिटीज शांत एवं अज्ञात रुप में होती है। जिसका व्यक्ति को पता ही नहीं होता है। यह अन्दर ही अन्दर मरीज के विभिन्न अगों को नुकसान पहुंचातीहै।
अगर आपको डायबिटीज है, आप इसे काबू में रख सकते हैं तथा एक सामान्य जीवन जी सकते हैं।
डायबिटीज क्या है?
डायबिटीज यानि मधुमेह को जानने के लिए यह जानना जरुरी है । कि हम जो भोजन करते हैं, वह हमें किस प्रकार से ऊर्जा देता है
हमारी आंते हमारे द्वारा किये भोजन को शर्करा में बदल देती है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह रक्त प्रवाह में शामिल हो जाता है इसी दौरान हमारा पैन्क्रियाज एक हार्मोन निकालता है जिसेइंसुलिन कहते है और यह भी खून में शामिल हो जाती है । दरअसल इंसुलिन एक चाबी है, जो कोषों के दरवाजे खोल देती है, ताकि ग्लूकोज इसके भीतर प्रवेश कर सके, इसके बाद यहकोशिकाऐं इस ग्लूकोज को शरीर के लिए सबसे आवश्यक ऊर्जा में बदल देती है । इस ऊर्जा से हमारा शरीर जो भी चाहे कार्य कर
सकता है।लेकिन जब हमें डायबिटीज हो जाती है तो यह ग्लूकोज कोषों के भीतर प्रवेश नहीं कर पाता, यह कोषों के बाहर ही रहता है । इसके कई कारण हो सकते हैः-
1. हो सकता है शरीर में इंसुलिन का पूर्णतया अभाव हो।
2. हो सकता है शरीर में पर्याप्त इंसुलिन न हो।
3. हो सकता है इंसुलिन तो हो पर सही तरह से का न कर पा रही हो।
जब यह ग्लूकोज कोषों के भीतर प्रवेश नहीं कर ताता तो यह हमारे ब्लड में ही मौजूद रहता है ।, इस स्थिति को हाइपरग्लायसीमिया या उच्च रक्त शर्करा कहते है । इस स्थिति में हमाराशरीर भोजन को ऊर्जा में नही बदल पाता है, जिसकी शरीर को सभी कार्यो मे आवश्यकता पड़ती है, इसलिए हम बहुत ही जल्दी थक जाते है। इसी को हम डायबिटीज या मधुमेह होनाकहतै है।
डायबिटीज कितने प्रकार की होती है तथा इसका कारण क्या है?
मूलतः डायबिटीज दो प्रकार की होती है।
टाइप - 1
टाइप - 2
हालांकि डायबिटीज के कारणों पर लंबे समय से खोजबीन जारी है लेकिन अभी तक कोई नहीं जान सका कि इसका असली कारण क्या है ? कुछ संभावित कारण निम्न है -
कुछ व्यक्तियों में तो डायबिटीज का कारण ही अधिक वजन का होना होता है क्योंकि मोटापें के कारण इसुंलिन के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और रक्त मे इसुंलिन कीप्रर्याप्त मात्रा होने के बावजूद भी उनका ब्लड शुगर अधिक हो जाता है ।
अनुवांशिक
वातावरण जैसे कि वाइरस, खानपान
पैन्क्रियाज की बीमारी
डायबिटीज के प्रमुख लक्षण क्या है?
बार-बार पैशाब होना।
बार-बार प्यास लगना।
अचानक वजन घटना।
बहुत ज्यादा भूख लगना।
हर समय थकान लगना।
आंखो में धुंधलापन आना।
कटने या छिलने पर चाव भरने में देर लगना।
हाथों या पैरों मे झनझनाट/झुनझुनी आना।
त्वचा, मसूड़ो, मुत्राशय या जननअंगो में बार-बार इन्फैशन हैना।
डायबिटीज की जांच कैसे/कब करायें?
अर्न्तराष्ट्रीय डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा 45 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति के लिए हर साल रक्त परीक्षण करवाने की सिफारिश की जाती है। खाने से पहले या स्तर से ज्यादा होनेपर समझ लीजिए कि आपको डायबिटीज है।
ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार में किसी को डायबिटीज है, 35 वर्ष की उम्र के बाद हर छः महीने में जाँच करायें।
डायबिटीज के रोगी नियंत्रण प्राप्त करने के बाद, इसकी देखरेख के लिए प्रत्येक माह खाली पेट व भोजन (नाश्ते या दोपहर के खाने) के 2 घंटे बाद की जांच करायें।
पेशाब में शुगर की जांच से ब्लड शुगर की सही अनुमान नहीं लगता है। इसलिए ब्लड शुगर ही टेस्ट करानी चाहिए।
यदि डायबिटीज की दवा करा रहे हो तो जांच, नियमित दवा खाकर करायें।
डायबिटीज के रोगी के लिए केवल रक्त में शुगर का स्तर सामान्य होना काफी नहीं होता। हर महीने डॉक्टरी परामर्श एवं विशेष हिदायतें मधुमेह से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने केलिए अति आवश्यक होती है।
ऐसे व्यक्ति जिनको डायबिटीज नहीं है यदि निश्चित करना चाहते है की उन्हे डायबिटीज है कि नही तो
उन्हें यह जांच - सुबह खाली पेट एवं एक गिलास पानी मे घोल कर उसे 10 मिनट मे पियें एवं जब से पीना शुरु करें, उसके दो घन्टे पर दोबारा जांच करायें
यदि खाली पेट से अधिक या ग्लूकोज के दो घंटे बाद का शुगर से अधिक दे तो समझ लीजिए आप को डायबिटीज है
यदि आप का शुगर के बीच है या ग्लूकोज के बाद का शुगर से के बीच है तब भी आप को डाक्टरी सलाह एवं परहेज की आवश्यकता है।
डायबिटीज होने पर क्या क्या परेशानी या जटिलकाएं पैदा हो सकती है?
अंधत्व
गुर्दे की बीमारी
फालिज
दिल का दौरा
किसी अंग को काटना पड़ सकता है।
मृत्यु
ब्लड शुगर नियंत्रित करके इन परेशानियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
डायबिटीज के रोगी में खान-पान सम्बन्धी भ्रान्तियाँ एवं उनका समाधान
सामान्यतः डायबिटीज के रोगी चीनी, चावल, आलू न खाने क ही पूरा परहेज मान लेते हैं।
बहुत कम मात्रा में रोटी खाने के बावजूद शुगर का स्तर कम न होने से चिन्तित रहते है, लेकिन खाने के बीत में खाये जाने वाले अधिक कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे टिक्की समोसा, नमकीन, ड्रायफ्रूट, आईसक्रीम, चाय, कोल्डड्रिंक इत्यादि स मिलने वाली कैलोरी की तरफ ध्यान नहीं देते। शुगर के मरीज के लिए अपनी बीमारी के स्तर एवं अपने शरीर कीआवश्यकता को समझना अति आवश्यक है।
सामान्यतः कुछ खाने के बाद डायबिटीज के मरीज में ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है, क्योंकि डायबिटीज के रोगी मे आवश्यक इंसुलिन की कमी होती है। रक्त में शुगर के स्तरको निम्नलिखित बातों का ध्यान रख कर नियंत्रित किया जा सकता है।
खाना खाते समय, टीवी, रेडियो आदि बन्द करें तथा अखबार या कोई किताब भी न पढ़े, पूरा ध्यान खाने पर ही रखें।
खाना चबा-चबा कर खायें तथा पुरा खाने को खत्म करने में कम से कम 15-20 मिनट लगायें।
एक बार में थोड़ा खाना खायें तथा पूरे दिन के खाने को कम से कम 6 भागों में बांटे। खाना प्रतिदिन समय पर नियमित रुप से लें।
खाने में हरी सब्जियाँ एवं सलाद (असीमित मात्रा) तथा फल (सीमित मात्रा) में लें।
यदि शुगर की दवाई लेते है, तो डाक्टर की सलाह के अनुसार भूल किये बिना लगातार लें, अपने ऊपर प्रयोग बिल्कुल न करें। (क्योंकि डायबिटीज के रोगी में शुगर का स्तर केवलनियंत्रित होता है, बीमारी खत्म नहीं होती।)
डायबिटीज रोगी को कैसा भोजन करना चाहिए?
डायबिटीज रोगी को कम चिकनाई युक्त, साधारण भोजन ही करना चाहिए, जिसमें बिना चुपड़ी चपाती, हरी सब्जी, दाल व सलाद होनी चाहिए।
फलों की शुगर सामान्य ग्लूकोज न होकर फ्रक्टोज होती है जिसके शरीर में उपयोग के लिए इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती।
फलों के गूदे का रेशा (फाइबर) भूख शांत करने में, पेट भरने में, कब्जियत दूर करने में व कुछ मात्रा में शुगर, कोलेस्ट्राल व मोटापा कम करने में सहायक होता है।
फलों में सेब, अमरुद, नाशपाती, संतरा, मौसमी, खरबूजा, तरबूज, पपीता, जामुन बेर इत्यादि की 200 ग्राम मात्रा दो समय के खाने के बीच में ली जा सकती है।
आम, केला, लीची, चीकू, अंगूर इत्यादि फल भी मौसम में कभी-कभी (यदि आपका ब्लड शुगर नियंत्रित है तो) 100-125 ग्राम तक लिए जा सकते हैं।
आटा - प्रयोग में आने वाला आटा यदि मोटा पिसा हो (या फिर उसमें चौथाई मात्रा में मोटा अनाज (चना. बाजरा, मक्का) मिला हो तो भोजन में रेशे की मात्रा बढ़ जाती है। ये फलों के रेशेकी भांति ही लाभ दायक होता है।
चावल (मांड निकले हुए) - 1 रोटी = 3/4 कटोरी पका चावल के हिसाब से भोजन में लिए जा सकते है।
नानवेज (माँसाहार) - केवल मछली व मुर्गा (वह भी भुने या उबले स्वरुप में) ही डायबिटीज रोगियों के लिए उचित रहते है।
अंडे का पीला भाग कोलेस्ट्राल युक्त होता है, इसलिए इसका प्रयोग न करें।
दूध - बिना मलाई का या टोन्ड, फीका दूध एक गिलास पीना चाहिए।
चाय - दिन में एक या दो कप फीकी चाय ले सकते है, हर्बल चाय लेना ही ठीक रहता है।
कोल्ड ड्रिंक - किसी भी ब्राण्ड की पीना सलाह योग्य नहीं है, सादा सोडा या नींबू पानी बिना शक्कर ले सकते हैं।
एल्कोहल या शराब - अन्य बीमारियों के अतिरित ब्लड शुगर भी बढ़ाती है इललिए इसका सेवन न करें । कभी-कभी शराब के कारण शुगर कम होने का खतरा भी रहता है, जिसकेकारण मृत्यु भी हो सकती है।
शुगर फ्री व अन्य टेबलेट - चाय व अन्य खाद्य पदार्थ को मीठा करने के लिए न लें तो अच्छा है, इसके लेने से मीठे की इच्छा बनी रहती है तथा इसके अर्वाछनीय प्रभाव भी होते है।
घी - एक गृहस्थ महिला, कार्यालय अधिकारी, या कर्मचारी तथा दुकानदार को 20-25 से अधिक घी या तेल का प्रयोग एक दिन में नहीं करना चाहिए (अधिक उपयोगी है।)
क्या आयुर्वेदिक दवायें डायबिटीज को जड़ से खत्म कर देती है?
मधुमेह की आयुर्वेदिक दवाओं के बारे मे आम भ्रान्ति है कि-
इन दवाओं का कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं होता है।
इन दवाओं के द्वारा डायबिटीज को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक दवायें सभी तरह की डायबिटीज में कार्यगर सिद्ध होती हैं।
जबकि सत्य इसके विपरित है यदि मधुमेह की आयुर्वेदिक दवाओं को आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में न लिया जाये तो यह अप्रभावकारी ही नहीं घातक भी हो सकती है।
अब तक किये गये शोध कार्य के अनुसार किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति (एलोपेथिक, आयुर्वेदिक होम्योपैथिक एवं यूनानी आदि) के दवारा डायबिटीज को जड़ से खत्म नहींकिया जा सकता है इसे केवल दिनचर्या, खान-पान में अपेक्षित बदलाव एवं उचित दवाओं के द्वारा केवल नियंत्रित किया जा सकता है।
यह सोचना बिल्कुल गलत है कि आयुर्वेदिक दवायें सभी प्रकार के रोगियों में कारगर होती है क्योंकि आयुर्वेदिक दवाएं निम्न प्रकार के डायबिटीज के रोगियों में बिलकुल भी असरकारकनहीं होती है जैसे -
टाईप-1 डायबिटीज (अर्थात जिन रोगियों के शरीर के इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है।)
जिन रोगियों में खाने के 2 घंटे का स्तर 250 mg/dl से अधिक हो।
डायबिटीज के ऐसे रोगी जिन के शरीर के अन्य अंगों जैसे गुर्दा, आंखे, दिल एवं नसों पर डायबिटीज के दुष्प्रभाव पड़ चुके हो।
इन सभी प्रकार के मरीजों में विशेषज्ञ हिदायतों का पालन करके, डायबिटीज को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
इंसुलिन की आवश्यकता कब एवं क्यों?
डायबिटीज की बीमारी शरीर में इंसुलिन की कमी या इसके न होने के कारण होती है।
इसका इलाज हम गोलियां (टेबलेट) द्वारा इंसुलिन का स्तर बढ़ा कर तथा अन्य तरीकों (दिनचर्या एवं खान-पान तथा व्यायाम आदि) से शुगर को नियंत्रित करके कर करते है।
यदि हमारा पैन्क्रियाज (इंसुलिन निकालने वाली ग्रन्थि) इंसुलिन बनाने में बिलकुल असमर्थ होता है, तो हमें बाहर से इंसुलिन लेने की आवश्यकता पड़ती है।
बदकिस्मती से अभी तक इंसुलिन की टेबलेट नहीं बन पायी है इसलिए यह साधारणतय इंजैक्शन के द्वारा ही ली जा सकती है (विदेशों में आजकल इन्हेलर के रुप में भी उपलब्ध है)
यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि यदि इंसुलिन की टेबलेट आती तो कोई भी मरीज यह सवाल उठाता कि डाक्टर साहब एक बार लेने पर इसकी आदत पड़ जायोगी।
इसका मतलब यह है कि डर इंसुलिन का नहीं इसके इंजैक्शन का है।
यदि हम इंसुलिन की आवश्यकता हैने पर भी हम इसे नहीं लगाते है तो हमारा स्वास्थ्य अधिक शुगर के कारण हिरता चला जाता है और इसके दुष्प्रभाव से गुर्दा फेल व नजर कमजोरहोने लगती है, वजन कम होने के साथ-साथ शरीर में थकान बनी रहती है ।
इसके विपरित यदि हम इंसुलिन का इस्तेमाल करने में न हिचकें तो शुगर नियंत्रण से एक तो हम इसके दुष्प्रभाव से बच पाते है, तथा एक बार शुगर नियंत्रण के पश्चात इंसुलिन इंजैक्शनबन्द होने की सम्भावना भी रहती है।
इसलिए हम यह कह सकते है कि इंसुलिन की उपलब्धता हमारे लिए वरदान है अभिशाप नहीं ।
निष्कर्षडायबिटीज का पूर्ण निदान अभी तक सम्भव नहीं है फिर भी डायबिटीज के साथ भी सामान्य जीवन का आनन्द लिया जा सकता है । अतः डायबिटीज के साथ आनन्दपूर्वक जीवन जीनेके लिए आपको अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव लाना बहुत ही आवश्यक है।
यह एक चुनौती भरा काम है । मगर इसकी यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आप जीवन का आनन्द उठाना ही छोड़ दें इस पर नियंत्रण रखने के कुछ आसान उपायों को अपनाकर आपएक सुखी, स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकतै है ।
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