SYNAPSE

SYNAPSE
Significance of synapse in the body
जरा सोचो शरीर में nerve impulses एक स्थान पर उत्पन्न होकर सीधे एक ही neuron से CNS में क्यों नही पहुँच जातीं? वह बीच-बीच में एक neuron से दूसरे, फिर दूसरे से तीसरे neuron में synapse द्वारा रुक-रुक कर क्यों पहुँचती है?
आओ इस तथ्य को electricity distribution के माध्यम से समझते हैं। पावर हाउस से उत्पन्न करंट यदि तारों के माध्यम से सीधे घरों में पहुँचा दी जाये तब यह मार्ग में होने वाले क्षरण के कारण या तो काफी लो वोल्टेज के रुप में पहुँच सकती है जिससे हो सकता है कि घरेलू उपकरण कार्य न कर सकें, अथवा एकाएक हाई वोल्टेज के रुप में जो इन उपकरणों को क्षति पहुँचा सके। इससे बचाव के लिये (गिरती वोल्टेज को उठाने के लिये या हाई वोल्टेज को कम करने के लिये) मार्ग में स्थान-स्थान पर ट्रान्सफार्मर लगाये जाते हैं, जिससे यह fluctuations रोकी जा सके। इसी प्रकार मानव विकास के साथ इन synapses की उत्पत्ति हुई जो स्थान-स्थान पर neuronal transmissions को परिवर्तित अथवा संवर्धित कर सके। शरीर को जिन neuronal impulses की आवश्यकता नही होती, synapses उन impulses को कम कर सकते हैं अथवा पूरा भी रोक सकते हैं। इसके विपरीत, आवश्यकता होने पर synapses impulses की तीव्रता को बढ़ा सकते हैं, एक impulse को बार-बार उत्पन्न होने वाली impulses में परिवर्तित कर सकते हैं अथवा एक ही स्थान पर भेजने की जगह शरीर के अनेक स्थानों पर भी भेज सकते हैं। कई synapses दो neurons के मध्य बनने के स्थान पर अनेक neurons के समूह के मध्य बने होते हैं, जो इन सबकी भिन्न-भिन्न impulses को एकीकृत करके जिस रुप में आगे बढ़ाना चाहिये उस रुप में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार synapse neuronal impulses को शारीरिक आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो इनके बिना सम्भव नही होती।
Mechanism of synaptic transmission
जब हम फोन पर बात करते हैं, जब ध्वनि की तरंगे सर्वप्रथम इलैक्ट्रोमैग्नैटिक तरंगों में परिवर्तित होती हैं, जो अपने गन्तव्य पर पहुँच कर पुनः ध्वनि तरंगों में परिवर्तित हो जाती हैं। यहाँ पहले वाला transmitter फोन ध्वनि को इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों में परिवर्तित करता है तथा दूसरा वाला receiver फोन इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को पुनः ध्वनि तरंगों में। कुछ इसी प्रकार की प्रक्रिया synapse द्वारा impulse transmission में भी होती है। Presynaptic terminal में neural impulse द्वारा chemical NT उत्पन्न होता है, जो terminal से स्रावित होकर synaptic cleft में पहुँचता है। Postsynaptic neuron की postsynaptic membrane पर लगे हुए receptors के सम्पर्क में आकर यह NT दोबारा neural impulse उत्पन्न कर देता है, जो दूसरे neuron में प्रवाहित हो जाती है। आओ इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
Synaptic transmission का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है, neurotransmitters (NT)। शरीर में लगभग 40 NT उपयोग में लाये जाते हैं, जिनमें से सर्वप्रमुख है acetylcholine (Ach)। इस प्रसंग में हम केवल Ach प्रयोग में लाने वाले synapses का ही वर्णन करेंगे।
Ach, presynaptic terminal में स्थित synaptic vesicles में संग्रहित रहता है। क्योंकि लगातार होते रहने वाले synaptic transmissions के लिये असंख्य Ach अणुओं की आवश्यकता होती है अतः इसका निर्माण terminal के cytoplasm में ही निरन्तर चलता रहता है। यह Ach, active transport के द्वारा vesicle के अन्दर पहुँच कर संग्रहित होते रहते हैं। Neural impulse के आने पर यही vesicles, exocytosis के द्वारा Ach को synaptic cleft में निकालते जाते हैं।
शरीर में अन्य स्थानों की भांति ही synapse मे भी exocytosis हेतु Ca++ का प्रयोग होता है। वास्तव में, जब किसी neural impulse के द्वारा synaptic terminal का depolarisation होता है, तब terminal की presynaptic membrane पर स्थित voltage gated Ca++ channels खुल जाते हैं तथा न्यूरान के बाहर स्थित Ca++ terminal के अन्दर प्रवेश करने लगते हैं। Axon terminal के भीतर स्थित synaptic vesicles, cytoskeleton से जुडी़ होती हैं।
Presynaptic membrane तक लाकर इनकी exocytosis करवाने के लिये इन्हें cytoskeleton से अलग करना होगा। Ca++ channels से Ca++ प्रवेश कर Ca++ -calmodulin dependent protein kinase एन्जाईम को उत्तेजित कर इन्हें cytoskeleton से अलग करना लेता है। यह synaptic vesicles अब presynaptic membrane की release site से जुड़ जाती हैं जहाँ से Ca++ की मदद से इन vesicles की exocytosis होती है, जिससे Ach synaptic cleft में निकल आता है।
यह Ach, postsynaptic membrane पर स्थित Ach receptor से जुड़ कर postsynaptic neuron में पुनः neural impulse उत्पन्न कराता है।
यदि synapse में उत्पन्न chemical NT द्वारा लायी गयी impulse को यदि पुनः किसी neuron में प्रवाहित करता है, तब इन्हें पुनः electrical impulses में बदलना होगा, जो कार्य ion channels को प्रभावित करके सम्पन्न होगा। प्रत्येक synapse की postsynaptic membrane पर उस synapse द्वारा उत्पन्न NT के लिये specific receptor protein होती हैं। यह receptors वास्तव में gated ion channels होते हैं, जो NT की उपस्थिति में ही खुलते हैं। इसका एक छोर postsynaptic membrane पर synaptic cleft की ओर रहता है व दूसरा postsynaptic neuron के भीतर की ओर। NT इन receptors के बाहरी (synaptic cleft में स्थित extracellular ligand binding domain) भाग से जुड़ता है। Ligand एवं receptor के परस्पर जुड़ने से receptor protein के membrane के भीतरी स्थलों पर (intracellular effector domain) में कुछ संरचनात्मक बदलाव (conformational changes) होते हैं, जिससे यह ion channels खुल जाते हैं।
Ach receptor की channels की अन्दरुनी दीवारों पर negative charge होता है, अतः यह anions, जैसे Cl - , को दूर धकेलते हैं एवं अन्दर आने से रोकते हैं तथा cations जैसे Na+ , K+ अथवा Ca++ को आकर्षित करते हैं, जिससे वह channel के भीतर प्रवेश कर सकें। क्योंकि ECFK में Na+ की संख्या काफी अधिक होती है, अतः वही सर्वाधिक संख्या में Ach gated ion channels के माध्यम से postsynaptic neuron में प्रवेश करते हैं। यही Na+ , postsynaptic neuron में depolarisation करा कर नया AP उत्पन्न करते हैं।
एक terminal में लगभग 2 लाख vesicles होते हैं एवं प्रत्येक vesicles में लगभग 2000-10000 Ach के अणु संग्रहित रहते हैं। एक impulse लगभग 125 vesicles की exocytosis करा सकती है। प्रत्येक में से लगभग 2.5-12.5 लाख Ach के अणु निकलते हैं व प्रत्येक Ach का अणु 15000-30000 Na+ का influx एक ही Ach gated ion channel के माध्यम से केवल 1 msec में करा सकता है। जरा सोचो, chemical synapse में neurotransmission किसी step-up transformer की भाति ही तो कार्य करता है, जो postsynaptic neuron में नई ऊर्जा के साथ नई neural impulse उत्पन्न कर सकता है।
EPSP and generation of AP in post-synaptic neuron
Presynaptic terminal द्वारा synaptic cleft में secreted acetylcholine (Ach), postsynaptic membrane पर पहुँच कर Ach receptor से जुड़ कर postsynaptic neuron को उत्तेजित करता है। आगामी प्रक्रियाओं को समझने के लिये जरा neuron की आन्तरिक स्थिति को दोबारा समझते हैं। किसी भी अन्य कोशिका की ही भांति neuron में भी resting phase में -65 mv (या -70) mv का intraneural potential या RMP रहता है। यह इसलिये क्योंकि Na+ K+ pump द्वारा प्रत्येक 2K+ ions को अन्दर लाये जाने पर 3Na+ ions neurons के बाहर निकाल दिये जाते हैं, जिससे neuron के बाहर Na+ व positive charge की अधिकता हो जाती है एवम् अन्दर negative charge की। प्रत्येक कोशिका स्वाभाविक रुप से इस अन्तर को समाप्त करके equilibrium को प्राप्त करना चाहती है। Ach के Ach-receptor से संयुक्त होने के साथ ही neuronal membrane पर लगी Na+ channels खुल जाती हैं व Na+ तेजी से neuron के अन्दर प्रवेश करने लगते हैं। Na+ का positive charge neuron के भीतरी negative charge को तेजी से negative charge करता जाता है, जिससे यह negative charge घटते हुए zero potential की तरफ बढ़ने लगता है। Neuron का भीतरी negative charge घटने या positive charge बढ़ने से जब intraneuronal potiential -65 mv से –45 mv तक पहुँच जाता है, जो neuron का threshold potential है, तब Na+ channels काफी अधिक संख्या में यकायक खुल जाते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में Na+ neuron के अन्दर प्रवेश करते हैं। इससे action potential (AP) उत्पन्न होता है। Presynaptic neuron के neurotransmitters से postsynaptic neuron के membrane potential में होने वाला यह excitation, excitatory postsynaptic potential (EPSP) कहलाता है।
Multiple presynaptic neurons are required to stimulate one post-synaptic neuron
क्या यह सम्भव है कि शरीर में एक ही synapse stimulate हो एवम् neuron उत्तेजित कर impulse को आगे बढ़ा दे?
जरा सोचो, एक presynaptic terminal से निकला Ach कितनी Na-channels को खोल पायेगा? इससे जो थोड़ा सा Na+ influx होगा वह क्या neuron के RMP को -65 mv से threshold potential -45 mv तक पहुँचा सकेगा, जिससे AP उत्पन्न हो सके? स्वाभाविक है कि RMP में इतना परिवर्तन लाने के लिये अनेकानेक Na+ channels को खोलना पड़ेगा, जिसके लिये काफी अधिक Ach की आवश्यकता पड़ेगी। निश्चित ही Ach की यह मात्रा उत्पन्न करने के लिये अनेकों presynaptic terminals को उत्तेजित करना होगा। यह देखा गया है कि सामान्यतः 40-80 axon terminals का discharge एक neuron में AP उत्पन्न कर impulse propagation करवा पाता है।
Post-synaptic potentiations
Presynaptic terminal द्वारा synaptic cleft में स्रावित ACh, postsynaptic membrane पर पहुँच कर ACh receptor (ACh-R) से संयुक्त होकर postsynaptic neuron को उत्तेजित करता है। आगामी प्रक्रियाओं को समझने के लिये न्यूरॉन की आन्तरिक स्थिति को दोबारा समझते हैं। किसी भी अन्य कोशिका की ही भांति न्यूरॉन में भी बिना उत्तेजना के अथवा विश्राम की अवस्था में -65 mv का intraneural potential या RMP रहता है। यह इसलिये क्योंकि Na-K pump द्वारा प्रत्येक 2K+ आयन्स को अन्दर लाये जाने पर 3Na+ आयन्स न्यूरॉन्स के बाहर निकाल दिये जाते हैं, जिससे न्यूरॉन के बाहर Na+ व पॉजिटिव चार्ज की अधिकता हो जाती है एवम् अन्दर निगेटिव चार्ज की। न्यूरॉन में यह RMP या intraneural potential -65 mv का होता है। प्रत्येक कोशिका स्वाभाविक रुप से इस अन्तर को समाप्त करके equilibrium को प्राप्त करना चाहती है। ACh के ACh-R से जुड़ने के साथ ही न्यूरॉन की मेम्ब्रेन पर लगे Na+ चैनल्स खुल जाते हैं व Na+ तेजी से न्यूरॉन के अन्दर प्रवेश करने लगते हैं। Na+ का पॉजिटिव चार्ज न्यूरॉन के भीतरी निगेटिव चार्ज को तेजी से neutralize करता जाता है, जिससे यह निगेटिव चार्ज घटते हुए zero potential की तरफ बढ़ने लगता है। न्यूरॉन का भीतरी निगेटिव चार्ज घटने या पॉजिटिव चार्ज बढ़ने से तब intraneuronal potiential -65 mv से -45 mv तक पहुँचता है, जो न्यूरॉन का threshold potential है, Na+ channels काफी अधिक संख्या में यकायक खुल जाते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में Na+ न्यूरॉन के अन्दर प्रवेश करते हैं, जिससे AP उत्पन्न होता है।
जरा सोचें, एक synapse द्वारा किसी न्यूरॉन में impulse transmission को किस प्रकार प्रभावित किया जा सकता है?
अब तक हम यह समझ चुके हैं कि किसी AP को उत्पन्न करने के लिये आवश्यक है कि न्यूरॉन के RMP, जो पहले से ही partially polarised (-65 mv) रहता है, उसे बढ़ाकर threshold potential (- 45 mv) के पास लाया जाये। इसे depolarisation कहते हैं व यह न्यूरॉन के भीतर Na+ influx द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है। अतः यदि किसी एक न्यूरॉन द्वारा किसी दूसरे न्यूरॉन में impulse transmission को उत्पन्न करना है अथवा बढ़ाना है तब presynaptic neuron द्वारा दोनों के मध्य synapse में excitatory NT release कराने होंगे जो postsynaptic neuron में Na+ चैनल्स को खोलकर Na+ influx बढ़ाये। इस प्रकार जो depolarisation postsynaptic neuron में उत्पन्न किया जाता है उसे excitatory postsynaptic potential (EPSP) कहते हैं।
इसके विपरीत यदि एक न्यूरॉन द्वारा दूसरे न्यूरॉन में impulse transmission को घटाना अथवा पूरी तरह से रोकना है तब presynaptic neuron द्वारा synapse में inhibitory NT release कराने होंगे जो postsynaptic neuron के neuronal potential को -65 mv से घटाकर और अधिक electro-negative (जैसे -70 mv) बना दे, जिससे इस न्यूरॉन का threshold potential (- 45 mv) के समीप पहुँचना और कठिन हो जाये। ऐसी परिस्थितियों में postsynaptic neuron में AP उत्पन्न करने के लिये -65 mv से -45 mv अर्थात 20 mv के depolarisation के स्थान पर -70 mv से -45 mv अर्थात 25 mv के depolarisation की आवश्यकता पड़ेगी, जिससे impulse transmission में बाधा पड़ेगी। इस प्रकार जो hyperpolarisation postsynaptic neuron में उत्पन्न किया जाता है उसे inhibitory postsynaptic potential अथवा IPSP कहते हैं। Intraneuronal electro-negativity बढ़ाने का यह कार्य या तो Cl- influx बढ़ाकर या फिर K+ efflux बढ़ाकर किया जा सकता है।
Summation of impulses
तुमने देखा कि एक neuronal impulse उत्पन्न करने के लिये आवश्यकता होती है कि उसे अनेकों presynnaptic terminals द्वारा उत्तेजित किया जाये। तुम यह भी जानते हो कि एक ही neuron पर अनेकों भिन्न-भिन्न neurons आकर जुड़े रहते हैं। यह सम्बन्ध दो dendrons के मध्य हो सकता है (dendro-dendritic), एक dendron व एक soma के मध्य हो सकता है (dendro somatic), अथवा एक dendron व एक axon के मध्य हो सकता है (dendro-axonic)। जब अनेक presynaptic stimuli किसी एक neuron को उत्तेजित करते हैं तब उनका प्रभाव सम्मिलित हो कर कई गुना बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया को summation कहते हैं।
Need for summation
क्या तुमने कभी सोचा कि किसी postsynaptic neuron में AP उत्पन्न करने के लिये आखिर कई synapses के EPSP के summation की आवश्यकता ही क्यों पड़ती है। वास्तव में एक synapse के द्वारा postsynaptic neuron में EPSP के रुप में जो electrical activity उत्पन्न होती है वह postsynaptic neuron के बहुत छोटे से भाग को ही प्रभावित कर पाती है। Postsynaptic neuron की पूरी membrane को depolarise (अथवा hyperpolarise) कराने के लिये भी ऐसे अनेकों synaptic dischargers के summation की आवश्यकता होगी। शायद अब तुम प्रत्येक neuron से बनने वाले हजारों synapses की उपयोगिता भली भांति समझ पा रहे होंगे। याद रखो, प्रकृति में हो रहा कोई भी कार्य निरर्थक नही होता।
Mechanism of summation
वास्तव में AP उत्पन्न करने के लिये जिस 20 mv के depolarisation की आवश्यकता होती है वह किसी एक neuron द्वारा हो पाना संभव नही होता। इसका अर्थ यह हुआ कि postsynaptic neuron को एक के स्थान पर अनेकों neurons के द्वारा उत्तेजित करना होगा, जिससे उससे वांछित कार्य कराया जा सके। अनेकों neuron द्वारा यह सम्मिलित प्रयास summation of effects या summation कहलाता है, जो अनेकों neurons का एक ही effector neuron पर convergence के बाद synapse बनाने से ही संभव हो सकता है।
जरा सोचो, अनेक व्यक्ति मिल कर एक कठिन कार्य को कैसे संपन्न कर सकते हैं? या तो वे सब मिलकर एक साथ जोर लगाकर इसका सम्मिलित प्रभाव बढ़ा दें या फिर लगातार क्रम से एक के बाद एक कर के। Synapse द्वारा summation की प्रक्रिया भी इन्हीं दो प्रकारों से करायी जा सकती है। यदि अनेकों neurons एक साथ postsynaptic neuron पर NT discharge करें जिससे उसमें -20 mv का depolarisation उत्पन्न हो सके तब यह प्रक्रिया spatial summation कहलाती है। spatial शब्द के space अथवा स्थान के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है अर्थात् एक ही स्थान पर (एक साथ) उत्तेजित करना। इसके अतिरिक्त ये अनेक neuron क्रमानुसार, लगातार पहले के प्रभाव को समाप्त होने के पूर्व ही, एक के बाद एक कर के यदि किसी अन्य neuron को उत्तेजित करते हैं तब इस प्रक्रिया को temporal summation कहते हैं। Temporal शब्द भिन्न-भिन्न कालावधियों या समयों के लिये प्रयोग किया जाता है। अर्थात् एक ही साथ न करके, अलग-अलग समयान्तरालों में (एक अथवा एक से अधिक स्थानों द्वारा) उत्तेजित करना। यदि पहले EPSP के समाप्त होने के पूर्व ही अगला EPSP उत्पन्न हो जाये तब दोनों EPSP परस्पर मिलकर summation effect दिखाते हैं।
Spatial summation
जरा सोचो, कि neuronal impulse आरम्भ करने के लिये -20 mv के EPSP की आवश्यकता है, तब यह किस-किस प्रकार से उत्पन्न किया जा सकता है?
एक विधि है कि अनेकों presynaptic terminals एक ही साथ इसे उत्तेजित करें, जिससे अनेकों Na+ channels खुलकर Na+ influx द्वारा neuron के -65 mv RMP को -45 mv threshold potential तक पहुँचा दें, जिसे AP उत्पन्न हो कर impulse उत्पन्न की जा सके। जब यह कार्य एक neuron के चारों ओर लगे अनेकों presynaptic terminals द्वारा एक ही साथ उत्तेजित कर के किया जाता है, तब इसे spatial summation कहते हैं (spatial शब्द का अर्थ है ‘स्थान के अनुसार’) अर्थात् एक ही समय पर, अनेक स्थानों द्वारा उत्तेजना।
Temporal summation
पुनः सोचो क्या ऐसा नही हो सकता कि एक neuron पर चारो ओर अनेक presynaptic terminals इसे एक साथ उत्तेजित न कर के कुछ ही terminals लगातार एक के बाद एक कर के उत्तेजित करें? यदि यह लगातार होने वाली उत्तेजना neuron में Na+ influx बढ़ाते जा सकने में सफल हो जाती है, तो क्या वही EPSP उत्पन्न न हो सकेगा? वास्तव में यह सम्भव हो सकेगा यदि लगातार होती उत्तेजना इतनी शीघ्र हो कि लगातार होते रहने वाला Na+ influx इसे neutralize न कर दे। कुछ ही presynaptic terminals द्वारा (एक ही समय पर न हो कर) लगातार एक के बाद एक उत्तेजित कर प्राप्त किया जाने वाला यह summation – temporal summation कहलाता है (temporal शब्द का अर्थ है, ‘समय के अनुसार’) अर्थात एक साथ न हो कर अलग-अलग समय पर उत्पन्न की गयी उत्तेजना। यह spatial summation उसी परिस्थिति में सम्भव है जहाँ अनेक neuron एक ही neuron से एक ही synapse के द्वारा जुडे हों अर्थात convergence of neurons। Neurons का इस प्रकार का convergence अनेकों प्रकार के signals के integration को सम्भव बनाता है।
Length constant of a neuron
अब जब तुम यह समझ चुके हो कि summation of postsynaptic transmission दो प्रकार से हो सकते हैं अनेकों AP को एक साथ उत्पन्न करा कर (spatial) अथवा इन अनेकों AP को एक के बाद एक उत्पन्न करा कर (temporal) । जरा सोचो, क्या किसी postsynaptic की आन्तरिक विशेषतायें भी उसमें उत्पन्न होने पर summation की सम्भावनाएं घटा अथवा बढ़ा सकती हैं? क्या किसी गाड़ी को धक्का लगाते समय यदि एक व्यक्ति पहले धक्का दे फिर वह हट जाये और दूसरा व्यक्ति ढ़केले, ऐसा करने पर उनका सम्मिलित प्रयास अकेले-अकेले किये गये प्रयास से अधिक हो सकेगा? वास्तव में दूसरे व्यक्ति को भी धक्का उसी समय के भीतर लगाना होगा जब तक पहले व्यक्ति का बल कार्य कर रहा है। इसी प्रकार जब postsynaptic neuron पर synaptic potential उत्पन्न होता है तब यह एक अवधि तक ही प्रभावी रहता है। यह अवधि उस neuron का time constant कहलाती है। Summation के लिये आवश्यक है कि पहले synaptic potential के time constant के भीतर ही अगला synaptic potential भी उत्पन्न हो जाये। इसे हम यू भी समझ सकते हैं कि यदि किसी postsynaptic neuron में यह time constant लंबा होगा तब उसमें दो synaptic potential के summation से amplitude of potential के बढ़ने में सहायता मिलेगी तथा AP सरलतापूर्वक
उत्पन्न हो सकेगा। इसी प्रकार यदि 2 व्यक्ति किसी बहुत बड़े बक्से को धकेल रहे हों और पहला व्यक्ति बक्से के एक छोर को धकेल और दूसरा दूसरे छोर को, तब भी शायद वह इसे खिसकाने में सफल न हो सकें। यदि दोनों बक्से के एक छोर पर ही पास-पास धक्का लगायें तब शायद सफलता सरलता से मिल जाये। इसी प्रकार जब postsynaptic neuron में कोई synaptic potential उत्पन्न होता है, जब इसका प्रभाव कुछ दूर तक ही रहता है। यह दूरी उस neuron का length constant कहलाती है। Summation के लिये आवश्यक है कि दोनों synaptic potentials neuron के length constant के भीतर ही उत्पन्न हो। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि किसी neuron का length constant लम्बा है तब यह संभावना बढ़ जायेगी कि इसी दूरी में 2 से अधिक अलग-अलग neuron synaptic potentials उत्पन्न करें, जिनके summation से उनका amplitude of potential बढ़ सके एवं पुनः AP उत्पन्न होने में मदद मिल सके।
Convergence and divergence of neurons
इस प्रकार तुम यह समझ चुके होंगे कि spatial summation कराने के लिये अनेकों neurons को एक दूसरे neurons पर आकर केन्द्रित होना होगा। इस में कई neurons दूर-दूर के अन्य स्थानों से भी आ रहे होंगे जो एक ही स्थान पर परस्पर मिल रहे होंगे। यह प्रक्रिया convergence कहलाती है, जिसके द्वारा excitation अथवा inhibition के माध्यम से विभिन्न क्रियाकलापों का परस्पर एकीकरण (integration) कराना सम्भव हो पाता है। इस प्रकार convergence के माध्यम से ही nervous system के दूर-दूर स्थित भाग भी किसी अन्य भाग में चल रही गतिविधियों को संचालित कर सकते हैं। यह प्रक्रिया synapse के बिना सम्भव नही हो सकती।
जरा सोचो, यदि तुम प्यानों बना रहे हो तब तुम्हारी अँगुलियों को नियंत्रित करने में motor cortex, cerebellum, spinal cord एवम् motor neurons सबका सम्मिलित integrated प्रयास है, परन्तु क्या इसके लिये इन चारो भागों को तुम्हारी अँगुलियों से feedback की आवश्यकता नही होगी? वास्तव में अँगुलियों के हिलाने की प्रत्येक सूचना, कि अमुक क्षण अमुक अँगुली की स्थिति क्या थी, यह भी तो अँगुलियों पर उपस्थित receptors से उपरोक्त चारो भागों में पहुँचाती होंगीं। इस प्रकार से एक ही sensory information एक ही sensory nerve से प्रवाहित तो होगी, परन्तु nervous system के चार भागों (वास्तव में कई अनेक अन्य भागों में भी) में पहुँचाती होगी। इसके लिये उपरोक्त एक sensory neuron synapse के माध्यम से कई अनेक neurons में impulse transmission करवायेगा। इसे
divergence कहते हैं। Convergence की ही भाति divergence भी अनेक क्रियाकलापों के integration के लिये अतिआवश्यक प्रक्रिया है, जो synapse बनाये बिना सम्भव नही हो सकती।
Antidromic and orthodromic conduction
अगला प्रश्न यह उठता है कि post synaptic neuron में AP कहाँ पर उत्पन्न होता है व किस प्रकार आगे बढ़ता है?
स्मरण रहे कि AP उत्पन्न होने के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य है Na+ channels का खुलना। यदि हम neuron की आन्तरिक संरचना को पुनः याद करें तो हम पायेंगे कि neuronal membrane से Na+ channels की सर्वाधिक संख्या axonal hillock या initial segment में होती है, जो soma की तुलना में सात गुना तक अधिक होती है। यद्यपि presynaptic terminal द्वारा उत्पन्न EPSP, पूरे neuron में एवम् विशेष रुप से soma में, negative charge घटाकर -45 mv का threshold potential तक पहुँचाता है, जिससे neuron में Na+ channels खुलकर Na+ influx बढ़ा सकें, परन्तु यह प्रक्रिया उन स्थानों पर अधिक तीव्र होती है, जहाँ Na+ channels की संख्या अधिक है। अतः यह Na+ influx, axon के initial segment में सर्वाधिक होकर वहीं से AP उत्पन्न करता है।
वास्तव में यह AP अपने उत्पत्ति स्थल से दोनों तरफ फैल सकता है। Initial sgement से उत्पन्न हुआ AP यदि soma एवम् उसके पीछे dendrites की ओर बढ़ता है, तब इसे antidromic conduction कहते हैं। Soma एवम् dendrites में Na+ channels की संख्या काफी कम होने के कारण यह antidromic conduction धीमा पड़ता जाता है तथा बीच में ही नष्ट हो सकता है। यदि यह AP dendron के छोर तक पहुँच भी जाता है तब भी यह वहीं पर नष्ट हो जायेगा, क्योंकि synapse में impulse का बहाव postsynaptic membrane से presynaptic terminal की ओर होना सम्भव नही होता (unidirectional propagation of nerve impulse in synapse)।
Initial segment में उत्पन्न हुआ AP यदि axon में आगे की ओर बढ़ता है तब उसे orthodromic conduction कहते हैं। एसा इसलिये क्योंकि axon में Na+ channels बड़ी संख्या में उपस्थित होते है। Thick एवम् myelinated neurons में यह impulse conduction, thin एवम् unmyelinated neurons की अपेक्षा अधिक होती है। यह orthodromic conduction ही initial segment से उत्पन्न AP जब axon terminal की ओर बढ़ता है तभी यह अगले synapse तक पहुँच कर impulse propagation में सहायक होता है।
जरा सोचो, AP का कुछ भाग तो cyton से होकर dendrons की ओर बढ़ता है, क्या वह उस neuron में आने वाली अगली impulse के लिये बाधा नही उत्पन्न करेगा?
वास्तव में, axon के initial segment से आरम्भ हुआ AP का axon का यह retrograde conduction, cyton से dendron में जहां तक भी गुजरता है, वह उस पूरे भाग में पुराने AP के द्वारा उत्पन्न हुई समस्त ionic activities को neutralize कर उन्हे पुनः अगले impulse को receive करने के लिये तैयार कर देता है (wiping the state clean for subsequent activities)।
Unidirectional propagation of nerve impulse in synapse
जरा सोचो, postsynaptic neuron में AP कहाँ पर उत्पन्न होता है व किस प्रकार आगे बढ़ता है?
स्मरण रहे कि AP उत्पन्न होने के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य है, Na+ channels का खुलना। यदि हम neuron की आन्तरिक संरचना को पुनः याद करें तो हम पायेंगे कि neuronal membrane से Na+ channels की सर्वाधिक संख्या axonal hillock या initial segment में होती है, जो soma की तुलना में सात गुना तक अधिक हो सकती है। यद्यपि presynaptic terminal द्वारा उत्पन्न EPSP, पूरे neuron में, एवं विशेष रुप से soma में, negative charge घटाकर, threshold potential 45 mv तक पहुँचा सकता है जिससे neuron में Na+ channels खुलकर Na+ influx बढ़ा सके। परन्तु यह प्रक्रिया उन स्थानों पर अधिक तीव्र होती है, जहाँ Na+ channels की संख्या अधिक हो। अतः यह Na+ influx, axon के initial segment में सर्वाधिक होने के कारण वहीं से AP उत्पन्न करता है। वास्तव में यह AP अपने उत्पत्ति स्थल से दोनों तरफ फैल सकता है। Initial sgement से उत्पन्न हुआ AP यदि soma एवं उसके आगे dendrites की ओर बढ़ता है, इसे antidromic conduction कहते हैं। Soma एवं dendrites में Na+ channels की संख्या काफी कम होने के कारण यह antidromic conduction धीमा पड़ता जाता है तथा बीच में ही नष्ट हो सकता है। यदि यह impulse dendron के छोर तक पहुँच भी जाता है तब भी यह वहीं पर नष्ट हो जाता है, क्योंकि synapse में impulse का बहाव postsynaptic membrane से presynaptic terminal की ओर होना संभव नही होता।
Inhibitory postsynaptic potential (IPSP)
तुमने देखा कि किस प्रकार presynaptic terminal द्वारा उत्पन्न ACh, postsynaptic neuron में EPSP उत्पन्न कर के impulse प्रवाहित करता है। क्या यह आवश्यक है कि शरीर में सभी स्थानों पर पहला neuron अगले neuron को उत्तेजित ही करे? वास्तव में शारीरिक प्रक्रियाओं को सुचारु रुप से नियंत्रित करने हेतु शरीर में अनेकों inhibitory neurons भी होते हैं, जो अगले neuron को inhibit कर सकें। आओ समझाते हैं कि यह inhibition किस प्रकार होता है।
तुम जानते हो कि AP उत्पन्न करने हेतु intraneuronal RMP का -65 mv से बढ़ कर threshold potential – 45 mv तक पहुँचना आवश्यक है एवम् यह कार्य Na+ channel के खुलने एवम् Na+ influx द्वारा होता है। यदि किसी प्रक्रिया द्वारा Na+ द्वारा उत्पन्न इस positive charge को neutralize किया जा सके तब threshold potential तक पहुँचने एवम् AP के उत्पन्न होने को रोका जा सकेगा। यह सम्भव होता है negatively charged Cl - के द्वारा। Inhibitory synapses उत्तेजित होने पर Na+ channel को खोलने के स्थान पर Cl - channels को खोल देते हैं, जिससे Cl - neuron के अन्दर प्रवेश कर वहां उपस्थित Na+ के positive charge को neutralize कर देते हैं। इस प्रकार Cl - intraneuronal potential को और घटाने (negative charge को बढ़ाने) का कार्य करते हैं, जिससे RMP -65 mv से -70 तक पहुँच जाता है। जरा सोचो, अब इस neuron को -45 mv का threshold potential प्राप्त करने के लिये +20 mv के EPSP के स्थान पर +25 mv के EPSP की आवश्यकता पड़ेगी। इस प्रकार से किसी inhibitory neuron के सम्पर्क में आने पर neuron का उत्तेजित होना और अधिक कठिन हो जाता है। इसे ही inhibitory post synaptic potential (IPSP) कहते है।
पुनः सोचो, क्या किसी और विधि से भी यही लक्ष्य पाया जा सकता है। याद करो AP द्वारा depolarization के पश्चात् neuron अपनी पूर्व स्थिति में कैसे पहुँचता है। इस समय K+ channel के खुल जाने से neuron के अन्दर स्थित K+ बाहर समा कर जाता है तथा अपने साथ Na+ द्वारा अन्दर आया positive charge भी ले जाता है, जिससे neuronal potential दोबारा -65 mv की स्थिति में पहुँच सके। जरा सोचो, यदि किसी प्रकार यह K+ channel Na+ influx के पहले ही खुल जाये तब neuron के भीतर अधिक मात्रा में स्थित K+ अपने concentration gradient के कारण से neuron के बाहर समा करने लगेगा। इससे intraneuronal potential -65 mv में भी कम हो जायेगा एवम् पुनः Cl - के अन्दर आने की ही भांति K+ का बाहर जाना भी neuron को उत्तेजित होने को और कठिन बना देगा।
Pre and post synaptic inhibition
उपरोक्त् दोनों विधियों में पहला neuron एवम् इनके neurotransmitter, अगले neuron में उत्पन्न होने वाले AP को प्रभावित करते हैं। क्योंकि यह प्रक्रिया synapse के बाद होती है, अतः इसे post synaptic inhibition कहते हैं।
कहीं कहीं synapse द्वारा secreted neuronal transmitter अपने ही presynaptic terminal को inhibit कर देता है। इसे presynaptic inhibition कहते हैं। इस प्रकार के inhibitory NT, जैसे GABA, presynapse terminal पर ही कार्य करके Cl - channel को खोल देते हैं, जिससे इनमें Cl - का influx, Na+ के AP द्वारा उत्पन्न Na+ के influx को neutralize कर दे। इस प्रकार यह inhibitory neuron एवम् इसके inhibitory NT पहले neuron के signals को अगले neuron तक पहुँचने से पहले ही रोक लेते हैं।
Inhibitory interneurons
यहाँ यह प्रश्न तुम्हारे मन में उठ सकता है कि nervous system में आखिर inhibition की आवश्यकता ही क्यों और कहाँ होती है। आओ इसे knee reflex के माध्यम से समझते हैं। तुम जानते हो कि इसमें ligamentum patellae के stretch होने से quadriceps muscle में contraction होता है, जिससे एक झटके के साथ knee का extension हो जाता है। क्या तुमने कभी सोचा कि quadriceps (extensor on knee) के contraction के समय hamstrings (flexors of knee) का क्या होता होगा। निश्चित ही यह भी खिंचेगी और इसका खिंचना quadriceps के प्रभाव को रोकेगा। अर्थात् एक संयोजित प्रक्रिया (integrated response) के रुप में legamentum patellae में stretch से quadriceps का तो brisk contraction होना चाहिये, परन्तु साथ ही साथ hamstrings का relaxation भी। Quadriceps contraction के लिये afferent sensory fibres quadriceps के efferent motor neurons में EPSP उत्पन्न करेंगे, परन्तु hamstring relaxation के लिये उन्हीं afferent sensory fibres को hamstring के लिये जाने वाले efferent motor neurons में IPSP उत्पन्न करना होगा। क्योंकि एक ही presynaptic terminal button, excitatory एवम् inhibitory दोनों प्रकार के NT नही बना सकता, इसलिये stretch के afferent sensory fibres spinal cord में दो भागों में बँट जायेंगे। एक भाग excitatory NT, glutamate उत्पन्न कर quadriceps के efferent motor neurons में EPSP उत्पन्न करेगा, परन्तु दूसरा भाग spinal cord के intermediate horn में स्थित inhibitory interneurons में EPSP उत्पन्न करेगा। क्योंकि यह interneurons स्वभाव से ही inhibitory है, अर्थात inhibitory NT, glycine उत्पन्न करने वाले हैं, अतः यह inhibitory neuron, hamstrings को जाने वाले efferent motor neurons में glycine के माध्यम से IPSP उत्पन्न कर उन्हें inhibit करा देंगे। इन्हीं के द्वारा hamstrings relax होकर quadriceps को बिना रोकटोक के (unopposed) contract करने देगी।
ध्यान दो इस प्रक्रिया में quadriceps circuit में केवल दो neurons प्रयुक्त होते हैं जबकि hamstring circuit में एक inhibitory interneuron अतिरिक्त होने के कारण कुल तीन neurons प्रयोग में आ रहे हैं।
Facilitation and occlusion
क्या दो neurons बिना synapse बनाये भी एक दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं?
जिस प्रकार से व्यक्ति अपनी संगति द्वारा प्रभावित होता है, उसी प्रकार neuron भी अपने साथ स्थित दूसरे neuron द्वारा प्रभावित होते हैं। जिस प्रकार हमारी संगति हमारी प्रगति को बढ़ा अथवा घटा सकती है, उसी प्रकार neuron में भी यह प्रभाव positive अथवा negative हो सकता है। बहुधा दो सामान्य छात्र यदि मिलकर पढ़ाई करते हैं तो एक दूसरे की मदद से दोनों का परिणाम उनके अलग-अलग पढ़ने से बेहतर आ सकता है। इसी प्रकार किसी एक neuron में impulse प्रवाहित हो रही है तब इस प्रवाह के दौरान Na+ , K+ एवम् इनके आवेश का आवागमन होता है, वह पहले neuron से लगे दूसरे neuron को भी प्रभावित करता है। दूसरे neuron में यह प्रभाव EPSP जितना शक्तिशाली तो नही हो पाता, जिससे AP उत्पन्न हो सके, परन्तु intraneuronal potential को threshold potential के समीप लाने में मदद अवश्य कर सकता है, जिससे अगली impulse दूसरे neuron में भी AP उत्पन्न करने में अधिक सहायक हो सके।
इसके विपरीत, जिस प्रकार दो शक्तिशाली प्रतियोगी परस्पर प्रतिस्पर्धा में एक दूसरे की ही काट करते रहते हैं, उसी प्रकार यदि दोनों neuron में एक साथ शक्तिशाली impulses प्रवाहित हो रही हों तब वह प्रवाह एक दूसरे से परस्पर प्रभावित होने से परस्पर अवरोधक का कार्य करते हैं।
इस प्रकार से अपने साथ लगे हुए neurons जो एक दूसरे की गतिविधियों को प्रभावित कर सकें, fringe neuron कहलाते हैं (fringe = किनारा) जो परस्पर subliminal fringe में रहते हैं (subliminal = बिना चाहे)। जब यह एक दूसरे को impulse transmission में सहायता करते हैं, अथवा जब दोनों neurons के उत्तेजित होने पर उनका सम्मिलित प्रभाव उनके अलग-अलग प्रभाव से अधिक हो, तब यह प्रक्रिया facilitation कहलाती है। इसके विपरीत जब दोनों एक दूसरे के impulse transmission में अवरोध उत्पन्न करें, अथवा जब उन दोनों neurons के उत्तेजित होने पर उनका सम्मिलित प्रभाव उनके अलग-अलग होने वाले प्रभाव से कम हो, तब यह प्रक्रिया occlusion कहलाती है।
Presynaptic inhibition and facilitation
अब तक तुम यह समझ चुके हो कि किस प्रकार एक neuron synaptic excitation अथवा inhibition के द्वारा दूसरे neuron को प्रभावित करता है। अब प्रश्न यह है कि यदि दो neurons synapse के माध्यम से परस्पर सम्बद्ध हैं तब अन्य neurons इन दोनों के मध्य चल रहे synaptic transmission को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं। वास्तव में, synapse में secrete होने वाले NT की मात्रा को प्रभावित कर के किसी भी synaptic transmission की तीव्रता को घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है। आओ इसकी कार्यप्रणाली को विस्तार से समझते हैं।
तुम जानते हो कि synaptic vesicles द्वारा NT release कराने के लिये Ca++ की आवश्यकता होती है जो vesicles को presynaptic membrane तक ले जाकर वहां इनकी exocytosis करा सके। पुनः यह Ca++ terminal button के बाहर ECF में उपस्थित रहता है जहां से AP के terminal button पर पहुँचने के बाद Ca++ channels के खुलने पर वह button के भीतर प्रश्न करता है। इस प्रकार NT release की प्रक्रिया को 2 प्रकार से बाधित किया जा सकता हैः-
1. Terminal button पर AP द्वारा उत्पन्न depolarisation को घटाकर जिससे Ca++ channels का खुलना कम किया जा सके। यह Cl - channels को खोलकर एवं Cl - influx बढ़ाकर अथवा K+ channels को खोलकर एवं K+ efflux को बढ़ाकर किया जा सकता है।
2. Ca++ channels को सीधे ही प्रभावित कर उनका खुलना कम करके।
इस प्रकार यदि कोई presynaptic neuron अपने NT release के द्वारा postsynaptic neuron में IPSP उत्पन्न करे तब यह प्रक्रिया postsynaptic inhibition कहलाती है। इसके विपरीत यदि कुछ अन्य neurons, presynaptic neuron के NT release की प्रक्रिया को ही धीमा करके postsynaptic neuron को inhibit कर दें, तब यह प्रक्रिया presynaptic inhibition कहलाती है।
अब यह निर्णय तो तुम स्वयं निकाल सकते हो कि यदि presynaptic terminal button में Ca++ की मात्रा बढ़ा दी जाये तब NT release बढ़ाकर postsynaptic excitation भी कराया जा सकता है। कुछ जंतुओं में K+ channels को बन्द करके तथा Ca++ channels को अधिक समय तक खुला रखकर इस synaptic facilitation की प्रक्रिया का होना भी देखा जा चुका है।
Examples of pre and post synaptic inhibition
Peripheral pain fibres; A, B -(C), spinal cord के dorsal horn में जहाँ antero-lateral spinothalaemic tract में जाने वाले अपने second order neurons के सम्पर्क में आते हैं वहीं इनके synapse पर enkephalin producing inhibitory neurons भी जुड़ते हैं जो raphe magnus nucleus of serotonergic neurons द्वारा संचालित होते हैं। ये inhibitory neurons, peripheral pain fibres द्वारा लाये जा रहे pain sensations को inhibit करने का कार्य करते हैं। ये inhibitory neurons, peripheral pain fibres के terminal button पर जाकर presynaptic inhibition द्वारा एवं anterolateral spinothalamic tract में जाने वाले second order neurons को स्वयं ही सीधे-सीधे postsynaptic inhibition द्वारा प्रभावित करते हैं, जिसमें पीड़ा की अनुभूति कम हो सके।
Lateral inhibition or surround inhibition
ध्यान करो, किसी तेज प्रकाश के सम्मुख सभी कुछ धुंधला सा क्यों दिखता है? वास्तव में किन्हीं दो वस्तुओं को स्पष्ट रुप से देखने के लिये उनके मध्य contrast का होना अतिआवश्यक है। इसी प्रकार किसी वस्तु को स्पर्श करने पर त्वचा के जिस भाग में स्पर्श हो रहा है (central part) एवं जहां नहीं हो रहा है (peripheral part), उनके मध्य भी contrast की आवश्यकता होती है। Sensory system के प्रत्येक synaptic level पर यह प्रयास रहता है कि जिन central neurons में strong signals जा रहे हैं, केवल वही इन्हें आगे transmit करें एवं इनके चारों ओर जिन peripheral neurons में ये signals weak हैं, उन्हें suppress कर दिया जाये। इससे strong signals वाले central neurons, sensory cortex में एक स्पष्ट छवि बना सकेंगें। आओ समझते हैं कि ऐसा कैसे होता है।
Lateral inhibition in sensory system
याद करो, जब कोई signal sensory neurons के माध्यम से आगे बढ़ता है, तब प्रत्येक synaptic level पर इसमें divergence होता जाता है। अर्थात् वह signal central neurons से 3-4 neurons, 3-4 से 7-8 neurons व उसके बाद 7-8 से 20-25 neurons के रुप में आगे फैलता जाता है। स्वाभाविक है कि इस फैलाव में central neurons सर्वाधिक signals transmit करेंगे एवं peripheral neurons उनसे कम। यह peripheral neurons ही cortex में पहुँचने पर sensations को धुंधला बना देंगे अर्थात् sensory signal त्वचा के ठीक-ठीक किस भाग से आ रहे हैं, यह ज्ञात करना कठिन हो जायेगा। Sensations के स्पष्ट localisation के लिये आवश्यक होगा कि sensory cortex में जहां यह स्पष्ट localisation होना है, केवल strong signals वाले central neurons के signal वहां पहुँचाये जायें एवं peripheral neurons के weak signals को बीच में ही suppress कर दिया जाये। क्योंकि fine localisation का यह कार्य dorsal column medial leminiscal system के माध्यम से होता है। अतः हम इसी system का वर्णन करेंगे। इस system के सभी synaptic levels (dorsal column nuclei of medulla ventrobasal nuclei of thalamus एवं sensory cortex) में synapses से कुछ short lateral inhibitory neurons निकलते हैं, जो इन central neurons के अलावा अन्य peripheral neurons को inhibit करते हैं। इस प्रकार sensory cortex में त्वचा के किस भाग में स्पर्श हो रहा है इसका स्पष्ट निर्धारण हो पाता है। यह प्रक्रिया two point discrimination में विषेश रुप से मदद करती है।
Lateral inhibition in motor system
Lateral inhibition and negative feedback inhibition जिस प्रकार sensory system में signals के sensory cortex की ओर बढ़ने में प्रत्येक synaptic level पर divergence बढ़ता जाता है, ठीक उसी प्रकार motor system में signals के motor cortex से आरंभ होकर इच्छित muscle की ओर बढ़ने में भी होता है। यह divergence भी किसी motor activity की बारीकी को घटा सकता है। क्योंकि motor system में किसी motor activity को motor cortex के अतिरिक्त cerebellum, basal ganglia, vestibular, reticular, olivary एवं red nuclei, इत्यादि अनेकों अन्य organs भी नियंत्रित करता है, अतः lateral inhibition का कार्य ऊपरी synapses पर न होकर मुख्यतः motor neurons के spinal cord से बाहर निकलने के बाद ही आरंभ होता है।
Motor neurons जैसे ही spinal cord के anterior horn की anterior horn cells में से निकलते हैं, वे एक recurrent collateral branch वापिस anterior horn में भेज देते हैं। यह recurrent collateral branch, short inhibitory neurons (Renshaw cells) से मिलती हैं, जो इस neuron के अगल-बगल स्थित दूसरे neurons को inhibit कर motor activities के precision को और बढ़ा देती है। इसे lateral inhibition कहते हैं। Short inhibitory neurons, इस पहले neuron की antierior horn cell को भी suppress करते हैं। इसे ही negative feedback inhibition कहते हैं।
Lateral inhibition in cerebellum - Feed forward inhibition
Cerebellum का कार्य है cortex द्वारा संचालित motor activities को और अधिक सुचारु रुप से करवाना। इसके लिये यहाँ भी motor neurons की ही भांति lateral inhibition की प्रक्रिया लाभदायक रहेगी। इसके लिये cerebellum की दो short inhibitory cells, basket cells एवं stellate cells, cerebellum के प्रमुख efferent neuron, Purkinje cells, को नियंत्रित करते हैं। शरीर से प्राप्त afferent signals के आधार पर granular cells जब Purkinje cells को
excite करते हैं, तब जिन मुख्य Purkinje cells को यह excite करते हैं, उनके आसपास की दूसरी cells को excitation से बचाने के लिये वे basket एवम् stellate cells के माध्यम से inhibitory signals भी भेजती है। Feed forward inhibition की यह प्रक्रिया lateral inhibition करा कर cerebellum के output signals को और अधिक focussed एवं precise बना देती है।
Lateral inhibition or surround inhibition
क्या कोई neuron अपना inhibitonस्वयं भी करा सकता है?
हार्मोन्स के विषय में तो तुम जानते ही हो कि किस प्रकार अपना blood level एक सीमा से अधिक बढ़ने पर वह negative feedback के माध्यम से अपना ही secretion घटा देते हैं। CNS के neurons में भी यह प्रक्रिया देखने को मिलती है।
Spinal cord की anterior horn cells से motor neurons निकलते ही एक recurrent collateral branch वापिस भेजते हैं, जो Renshaw inhibitory neurons के द्वारा अपने ही तथा पास की दूसरी anterior horn cells को inhibitory NT, glycine, द्वारा inhibit कराती है। स्वाभाविक तौर पर यह inhibition स्वयं अपने ही inhibition के बजाय आसपास की दूसरी anterior horn cells का कहीं अधिक होगा। इसे lateral inhibition या surround inhibition कहते हैं। इसके द्वारा एक neuron अपने आसपास के दूसरे neurons को inhibit कर स्वयं अपना stimulation अधिक करा पाता है, जिससे उसके द्वारा सम्पन्न होने वाले muscular movements और अधिक focussed एवं precise हों, न कि आसपास के अनेक neurons द्वारा आसपास की अनेक muscles के contraction के रुप में बिखरे हुए।
Feed forward inhibition
तुमने सुना होगा कि कई लोग सामने तो बड़ी अच्छी बात करते हैं, परन्तु पीठ पीछे करते हैं जड़ खोदने वाले काम। निश्चित ही ऐसे लोगों से कोई भलाई की उम्मीद नही रखी जा सकती। परन्तु क्या तुम बता सकते हो कि शरीर में भी कहीं ऐसा होता है, जहां कोई अंग directly तो excitation का कार्य करता हो, परन्तु indirectly inhibition का? और इस पर भी इनका उद्देश्य और परिणाम अच्छा ही होता हो?
आओ cerebellum की आंतरिक संरचना व कार्यप्रणाली को याद करते हैं। cerebellum में शरीर के सबसे बड़े neurons में से एक Purkinje cells, cerebellar cortex का प्रमुख output ले जाते हैं। Cerebellum की ही दूसरी प्रमुख cell, granular cells, इन्हें (purkinje cells dks) excite कराती हैं। परन्तु साथ ही granular cells, cerebellum की अन्य प्रकार की cells को भी excite कराती है, जिन्हें basket cells व stellate cells कहते हैं। ये दोनों cells पुनः Purkinje cells से मिलकर उसको inhibit करती हैं। इस प्रकार granular cells, Purkinje cells को दो प्रकार से प्रभावित करती हैं- (1) directly excite कर के व (2) indirectly (basket व stellate cells के माध्यम से) inhibit कर के। Granular cells इस प्रकार से Purkinje cells को दोहरे नियंत्रण में रखती है। शायद इस प्रकार से यह Purkinje cells को अपने ही द्वारा हो रहे prolonged excitation से रोक पाती है। यह प्रक्रिया feed forward inhibition कहलाती है।
Indirect inhibition
जरा सोचो, क्या कभी excitation भी inhibition का कारण बन सकता है? सोचो क्या होगा, यदि किसी तेज दौड़ते घोड़े को भी तुम लगातार चाबुक मारते जाओ? निश्चित ही कुछ देर बाद घोड़े पर चाबुक का कोई excitatory effect नही होगा, बल्कि थक जाने के बाद तो उसकी चाल और धीमी होती जायेगी। Spinal neurons में rapid volley व stimuli, इन neurons में after hyperpolarisation को बढ़ा देते हैं, जिससे neuron आगे आने वाले stimuli के लिये अधिक और
अधिक refractory होता जाता है व आगामी impulses का transmission inhibit होने लगता है। इस प्रकार का inhibition जो किसी synaptic discharge द्वारा उत्पन्न IPSP द्वारा (direct inhibition) न हो कर पूर्ववर्ती discharges के प्रभाव से होता है उसे indirect inhibition कहते हैं।
Synaptic delay
Synapse किसी neuron में impulse transmission के समय एक speed breaker का कार्य करते हैं। सामान्यतः किसी synapse द्वारा तरंगों के प्रवाह में लगभग 0-5 msec तक का समय लग जाता है, जो इस अन्तराल में होने वाली विभिन्न गतिविधियों में व्यतीत होता है, जो निम्नांकित हैः-
1. Presynaptic terminal द्वारा NT का secretion
2. NT का synaptic cleft से diffusion के माध्यम से होते हुए postsynaptic membrane तक पहुँचना
3. Postsynaptic membrane पर NT का अपने receptor से जुड़ना।
4. Receptor के द्वारा ion channels को खोलकर अथवा बन्द करके या second messenger system को उत्तेजित कर के अगले neuron में नई गतिविधियों का संचालन करना
क्या तुम बता सकते हो कि synaptic delay के रुप में हो रही इस रुकावट का क्या उद्देश्य होगा?
शायद यह impulse transmission के modulation में मदद करता है। इसके अतिरिक्त यह हमें किसी neuronal pathway में मिलने वाले synapses की संख्या जानने में भी मदद करता है। क्योंकि अधिकांशतयः neurons से होकर तरंग प्रवाह में लगने वाला समय नगण्य होता है, अतः यदि हमें किसी pathway में तरंग प्रवाहित होने में लगने वाले समय की गणना कर लें, तब यह माना जा सकता है कि इसका अधिकांश भाग synaptic delay के रुप में ही हुआ होगा। अतः यदि हम एक
अँगुली में कोई उत्तेजना उत्पन्न करें और उसके cerebral cortex में पहुँचने में 12 msec का समय लगे तब यह माना जा सकता है कि इस pathway में 2 synapses रहे होंगे, जिनमें 5+5=10 msec का समय व्यतीत हुआ होगा।
Synaptic fatigue
एक emergency ward में एक रोगी पहुँचा, जिसके मस्तिष्क में एक लोहे की सरिया घुस गयी थी। सरिया घुसने के तुरन्त बाद ही उस व्यक्ति को seizures पड़ने लगे, जो कुछ समय बाद शांत हो गये। परन्तु ये seizures कुछ-कुछ समय पर, रुक-रुक कर, बार-बार आते रहे। क्या तुम बता सकते हो कि stimulus (सरिया) के बने रहने पर या seizures बीच-बीच में रुक क्यों जा रहे थे?
तुम यह जानते हो कि किसी excitable tissue में यदि कोई physical stimulus दिया जाये तब यह stimulus भी उस tissue में impulse उत्पन्न कर सकता है। यदि कोई stimulus किसी neuron को लगातार उत्तेजित करता रहे, तब उसमें उत्पन्न यही impulses लगातार neuron व उसके synapse से प्रवाहित होती रहेगी।
प्रत्येक neuron के terminal button में लगभग 10000 impulses या AP में प्रयुक्त हो सकने योग्य NT संग्रहित होता है। लगातार उत्पन्न हो रहे AP से यह केवल कुछ सेकण्ड या कुछ मिनटों में ही समाप्त हो जाता है। NT के समाप्त हो जाने से उस synapse से impulse का प्रवाह भी रुक जायेगा व इसके फलस्वरुप होने वाले seizures भी बन्द हो जायेंगे। Seizures बन्द होने के उपरान्त terminal button में पुनः NT का निर्माण आरम्भ हो जायेगा एवं जैसे ही इसकी पर्याप्त मात्रा बन जायेगी, stimulus बने रहने की दशा में seizures दोबारा उत्पन्न हो जायेंगे। NT समाप्त होने से synaptic transmission रुक जाने की यह अवस्था, synaptic fatigue कहलाती है।
क्या तुम भूल गये कि यदि तुम्हें कोई लगातार लम्बे समय तक डांटता नही रहे तब कुछ समय बाद तुम उस डांट के प्रति पहले की तरह संवेदनशील नही रहते। वास्तव में ऐसी परिस्थिति में तो उस डांट का कोई भी प्रभाव तुम पर पड़ना बंद सा हो जाता है। लगातार आते रहने वाले AP से postsynaptic membrane में NT receptor भी अपने NT के द्वारा प्रभावित होना बन्द करते जाते हैं। इसे down regulation of receptors कहते हैं। ऐसे में receptors अपनी legand binding sites को छिपा लेते हैं अथवा बन्द कर देते हैं, जिससे उन पर ligand (यहा NT) attach ही न हो सके (receptor down regulation) । इसके अतिरिक्त कभी-कभी receptors अपने ligand को attach तो होने देते हैं, परन्तु अपने intracellular effector domain द्वारा उत्पन्न होने वाली अगली प्रक्रियाएं ही आरंभ नही करते (receptor desenstisation)। इस प्रकार NT के रहने के बावजूद भी अगले neuron में उसका प्रभाव नही पड़ता।
यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि fatigue अधिकांशतः उन synapses का लक्षण है, जिनमें rapid and short acting small NT release होते हैं। यह NT ion channnels के माध्यम से कार्य करते हैं। लगातार उत्तेजित रहने वाली दशा में लगातार release होने वाले NT, postsynaptic membrane में से ion channels के माध्यम से पवदे को असीमित संख्या में एकत्रित करा लेते हैं। Ions की यह अनियंत्रित मात्रा भी synapse के अगले neuron में AP उत्पन्न करने में बाधा उत्पन्न करती है।
Mechanism of synaptic fatigue
Gradual exhaustion of NT in presynaptic terminal buttons
Progressive down regulation or desensitization of
postsynaptic membrane receptors
Gradual accumulation of abnormal concentration of ions
inside the postsynaptic neuron
Comaparison between chemical and electrical synapses
जरा सोचो, क्या synapse में impulse transmission हमेशा एक ही दिशा में होता है? वास्तव में यह निर्भर करता है कि वह synapse किस प्रकार का है। Chemical synapse में impulse transmission किसी neurotransmitter (NT) के द्वारा होता है, जो पहले neuron के presynaptic terminal से secrete हो कर दूसरे neuron के postsynaptic membrane पर लग कर नया AP या नयी impulse आरम्भ कराता है। क्योंकि इस प्रकार के synapse में NT उत्पन्न करने की विशेषताये केवल presynaptic terminal में ही होती हैं तथा NT का receptor केवल postsynaptic membrane पर ही होता है, अतः impulse का प्रवाह केवल presynaptic neuron से postsynaptic neuron की दिशा में ही सम्भव है।
इसके विपरीत electrical synapse में impulse के प्रवाह के लिये किसी chemical transmitter की आवश्यकता नही होती। यहाँ यह प्रवाह ions के माध्यम से ही होता है। Electrical synapse में इसके लिये आवश्यक है कि electrical synapse से जुड़े दोनों neurons परस्पर मिले हुए हों एवं उनके मध्य chemical synapse की भांति खाली स्थान (synaptic cleft) न हो। इस प्रकार electrical synapse के दोनों (या दो से अधिक) neuron परस्पर सटे हुए होते हैं एवं उनके cytoplasm भी ions channels या gap junctions के माध्यम से परस्पर सम्पर्क में रहते हैं, जिनके द्वारा ions मुक्त रुप में एक neuron से दूसरे neuron में आ जा सकते हैं। यहाँ विशेष तथ्य यह है कि ions का प्रवाह किसी भी ओर हो सकता है। Ion channels के माध्यम से होने वाले प्रवाह के लिये, stimulus किसी threshold potential से अधिक ही हो, ऐसी कोई बाध्यता नही होती। Electrical synapse में होने वाला यह bidirectional flow उन्हें chemical synapse के unidirectional flow से भिन्नता प्रदान करता है।
Electrical synapse CNS में अनेकों स्थानों पर मिलते हैं एवं ये अनेकों परस्पर मिले हुए interconnected neurons के समूहों को एक दूसरे से मिलजुल कर कार्य करने में मदद करते हैं। इनमें subthreshold impulses भी प्रवाहित हो सकती हैं एवं वह भी किसी भी दिशा में। इनमें दो neurons के बीच gap भी नहीं होता एवं NT के निकलने से लेकर उसके postsynaptic membrane पर receptor से जुड़ने एवं अपना प्रभाव उत्पन्न करने की आवश्यकता भी नहीं होती। इसलिये इससे होने वाले impulse transmission में synaptic delay (0.5 msec) भी नहीं मिलता। इसलिये electrical synapse में impulse transmission में latency देखने को नहीं मिलती, जो विभिन्न neurons के synchronisation एवं integration में सहायक होती है। इससे neurons की sensitivity बढ़ती है तथा वह परस्पर मिल कर synchronicity में impulse उत्पन्न कर सकती है।
इस प्रकार तुम सोच सकते हो कि electrical synapse chemical synapses की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ है तथा इसके होते हुए chemical synapses के रुप में एक complex संरचना बनाने की आवश्यकता ही क्या थी? क्या तुम भूल गये कि अत्यधिक स्वतन्त्रता वास्तव में हमारे किसी महान लक्ष्य की तरफ बढ़ने में रुकावट ही डालती है। लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिये आवश्यक है कि भटकाव को रोककर एक दिशा में किया गया निरन्तर प्रयास। प्रकृति में विकास के साथ ही एक chemical synapse का निर्माण हुआ, जिससे केवल आवश्यक impulses ही एक निश्चित दिशा में प्रवाहित हों। इस प्रकार chemical synapses के माध्यम से electrical impulses केन्द्रित करके एक निश्चित स्थान पर ही प्रवाहित की जाती है, जिनसे एक निश्चित कार्य संपादित हो सके। इनसे अलग, electrical synapses अनेकों अन्य neurons के coordination एवं synchronicity में सहायक होते हैं। कुछ synapses ऐसे भी होते हैं, जिनमें electrical व chemical दोनों प्रकार के synapses के गुण देखे जा सकते हैं।
जरा सोचो, क्या electrical synapse का bidirectional flow इन्हें किसी प्रकार की विशिष्टता प्रदान करता है? वास्तव में chemical synapse में impulse का प्रवाह तभी हो सकता है, जब presynaptic axon terminal पर पर्याप्त मात्रा में NT उत्पन्न हों एवं वह postsynaptic membrane पर threshold potential से अधिक EPSP उत्पन्न करे जो अगले neuron में पुनः impulse उत्पन्न कर सके। इसके विपरीत electrical synaptic में ion channels के माध्यम से होने वाले प्रवाह के लिये stimulus किसी threshold potential से अधिक ही हो, ऐसी कोई बाध्यता नही होती। इसके अतिरिक्त chemical synapse में impulse का प्रवाह cyton से dendron की ओर (antidromic) होने की दशा में लगातार धीमा होता जाता है तथा या तो dendron के छोर तक पहुँचने के पूर्व ही नष्ट हो जाता है या फिर dendron के छोर पर पहुँच कर (क्योंकि इनमें प्रवाह विपरीत दिशा में सम्भव नही होता)। इस प्रकार chemical synapses में केवल strong impulses का एक ही दिशा में प्रवाह संभव हो पाता है एवं weak impulses अपने पूर्व में स्थित neurons को प्रभावित नही कर पाते। Electrical synapse CNS में अनेकों स्थानों पर मिलते हैं एवं ये अनेकों परस्पर मिले हुए interconnected neurons के समूहों को एक दूसरे से मिलजुल कर कार्य करने में मदद करते हैं। क्योंकि इनमें subthreshold impulses भी प्रवाहित हो सकती हैं एवं वह भी किसी भी दिशा में, इसलिये electrical synapse neuron के समूहों में परस्पर coordination में सहायक होते हैं, जिससे neuron की sensitivity बढ़ सके तथा वह परस्पर मिल कर synchronicity में impulse उत्पन्न कर सके।
जरा सोचो, क्या किन्हीं और कोशिकाओं में भी impulses का प्रवाह chemical synapse की भांति होता है? वास्तव में smooth muscles एवं smooth muscles भी एक syncitium के रुप में व्यवहार करते हैं । यहां भी impulse transmission ion channels के माध्यम से ही होता है।
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