Energy cycle and ATP

Energy cycle
शरीर की सभी क्रियाओं के लिए, यहाँ तक कि जीवित रहने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता है। Autotrophic plants यह ऊर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त करते हैं जिसके फलस्वरूप वह photosynthesis के द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। Photosynthesis की प्रक्रिया में प्रकाश की ऊर्जा को भोजन की केमिकल ऊर्जा में बदल दिया जाता है। जब यही भोजन, heterotrophs द्वारा ग्रहण किया जाता है तब भोजन की इसी केमिकल ऊर्जा को शरीर की गतिविधियों के लिए प्रयुक्त कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया photosynthesis के ठीक विपरीत होती है जिसमें भोजन के पोषक तत्वों के ऑक्सीडेशन के माध्यम से उसके high energy bonds को तोड़कर इस ऊर्जा को मुक्त करा लिया जाता है। इस प्रक्रिया को cellular respiration कहते हैं।
Cellular respiration अथवा भोजन के oxidative phosphorylation से जब भोजन के बड़े पार्टिकल्स छोटे पार्टिकल्स में टूटते हैं तब उनसे ऊर्जा उत्पन्न होती है। इन प्रक्रियाओं को exergonic reactions कहते हैं। पूर्व में ऊर्जा को ताप (heat) का ही एक स्वरुप मानकर इनको exothermic reactions कहा जाता था। इसके विपरीत, anabolic reactions में जब छोटे पार्टिकल्स मिलकर बड़ा पार्टिकल बनाते हैं तब इस कार्य में ऊर्जा का प्रयोग होता है। इन प्रक्रियाओं को endergonic (पूर्व में endothermic) reactions कहते हैं।
ऊर्जा के अविनाशी होने के कारण ही किसी केमिकल रिएक्शन में जहाँ एक ओर catabolism के द्वारा ऊर्जा या ताप उत्पन्न हो रहे हों वहीँ इस ऊर्जा या ताप को संजोने के लिए दूसरी anabolic activity भी इसके साथ ही जुडी रहती है। इसे catabolism एवं anabolism की coupling कहते हैं। दूसरे शब्दों में इसे exergonic एवं endergonic reactions की भी coupling कह सकते हैं।
हम जानते हैं कि ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है एवं न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा मुक्त अवस्था में भी नहीं रह सकती। भोजन के केमिकल बॉन्ड्स को तोड़कर प्राप्त की गयी इस ऊर्जा को भी संग्रहित करने के लिए शरीर को एक रिचार्ज हो सकने वाली बैटरी की आवश्यकता पड़ती है। यह कार्य मुख्यतः ATP के द्वारा सम्पन्न होता है।
ATP में संग्रहित यह केमिकल ऊर्जा अनेक कार्यों के लिए प्रयुक्त हो सकती है।
- मांसपेशियों को चलाने के लिए - mechanical energy के रूप में।
- न्यूरॉन में impulse conduction के लिए - electrical energy के रूप में।
- शरीर के अनेक भागों में यह विभिन्न पदार्थों के active transport में मदद करती है।
- शरीर में अनेक नए compounds के निर्माण में मदद करती है।
- इन प्रक्रियाओं में कुछ ऊर्जा, ताप के रूप में भी निकलती है जो शरीर के तापमान को बनाये रखने में सहायक होती है।
- ऐसे ही कुछ ऊर्जा, रेडिएशन्स के रूप में त्वचा से भी निकलती रहती है।
- इन सभी कार्यों के पश्चात बची हुई ऊर्जा, nutrient stores (fat एवं glycogen) में पुनः केमिकल बॉन्ड्स के रूप में संग्रहित हो जाती है।
Energy bonds
Exergonic reactions के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को कुछ high energy bonds के रूप में संग्रहित किया जा सकता है। कुछ प्रमुख high energy bonds निम्नांकित हैं।
ATP - शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त होने वाली ऊर्जा मुख्यतः केमिकल बॉन्ड्स में संग्रहित रहती है जिनमें सर्वप्रमुख हैं phosphate bonds। ध्यान रहे, सभी phosphate bonds, high energy bonds नहीं होते। उदाहरण के तौर पर glucose से glucose 6 phosphate बनने में जो phosphate bond बनता है उसके टूटने (hydrolysis) से केवल 2-3 kcal/mol निकलती है जबकि शरीर में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत ATP के phosphate bond से 10-12 kcal/mol ऊर्जा प्राप्त होती है।
Coenzyme A (CoA) - ATP के अतिरिक्त एक अन्य high energy compound, thioester Coenzyme A है। प्रत्येक CoA में एक ATP के बराबर ऊर्जा संग्रहित होती है। Reduced CoA एवं acetic acid से मिलकर बनने वाला ‘active’ acetyl CoA, intermediary metabolism का एक प्रमुख compound है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
ATP and phosphate cycle
Adenosine एक महत्वपूर्ण purine nucleoside base है जिसमें phosphate group (Pi) से high energy bonds के माध्यम से जुड़ने की अतुलनीय क्षमता है। जिस प्रकार कोई रिचार्ज हो सकने वाली बैटरी में चार्जिंग एवं डिस्चार्जिंग का चक्र चलता रहता है उसी प्रकार, ATP के साथ Pi का जुड़ना एवं टूटना भी लगातार चलता रहता है।
Synthesis of ATP
- Adenosine से पहले Pi के जुड़ने से adenosine monophosphate (AMP) बनता है।
- AMP से दूसरे Pi के जुड़ने से adenosine diphosphate (ADP) बनता है।
- ADP से तीसरे Pi के जुड़ने से adenosine triphosphate (ATP) बनता है।
Breakdown of ATP
ऊर्जा की आवश्यकता पड़ने पर 1 ATP के टूटने से 1 ADP एवं 1 Pi बनते हैं। [1 ATP = 1 ADP + 1 Pi ]
Fatty acid oxidation के समय ATP, ADP + Pi में न टूट कर सीधे AMP में टूट जाता है। इसके फलस्वरूप 2 अलग-अलग Pi न बनकर, दोनों परस्पर जुड़े हुए inorganic pyrophosphate group (PPi) का निर्माण करते हैं। [1 ATP = 1 AMP + 1 PPi] । यह प्रक्रिया acyl coenzyme synthase enzyne द्वारा संचालित होती है।
इस प्रकार बना 1 AMP, 1ATP के साथ मिलकर 2 ADP का निर्माण करा देता है। [1 AMP + 1 ATP = 2 ADP] यह प्रक्रिया adenylyl kinase (myokinase) enzyne द्वारा संचालित होती है जो लगभग प्रत्येक सेल में मिलती है।
1 PPi भी टूटकर 2 Pi बना देता है जो पुनः ATP के निर्माण के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। [1 PPi = 2 Pi] । यह प्रक्रिया inorganic pyrophosphatase enzyne द्वारा संचालित होती है।
Energy की अतिरिक्त मात्रा उपलब्ध होने पर यह 1 ADP एवं 1 Pi मिलकर पुनः 1 ATP बना लेते हैं। [1 ADP + 1 Pi = 1 ATP]
इस प्रकार ATP के बनते-बिगड़ते रहने से ऊर्जा का आवागमन चलता रहता है।
Sources of energy for restoring ATP
ADP से ATP के बनने में ऊर्जा एवं एक Pi की आवश्यकता होती है। यह Pi मुख्यतः तीन प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होता है।
Glycolysis - इससे 2 Pi उत्पन्न होते हैं।
Citric acid cycle - इससे 1 Pi उत्पन्न होता है।
Oxidative phosphorylation - इसकी respiratory chain से ही सर्वाधिक मात्रा में Pi उत्पन्न होते हैं।
इनके अतिरिक्त, skeletal muscles में भी creatinine kinase के रूप में एक high energy phosphate bond रहता है। यह भी Pi donation के माध्यम से ADP को ATP में बदलने में सहायक होता है। यह reaction, creatine kinase enzyme द्वारा संपन्न होती है।
Creatine phosphate + ADP = Creatine + ATP
Roles of ATP in metabolic reactions
जिस प्रकार किसी रुकी हुई गाड़ी को ढकेलने के लिए आरम्भ में अधिक जोर लगाना पड़ता है परन्तु एक बार चल जाने के पश्चात उतने अधिक जोर की आवश्यकता नहीं पड़ती, ठीक उसी प्रकार, अनेक मेटाबॉलिक रिएक्शन्स को भी आरम्भ करने के लिए काफी अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा, ATP द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख रिएक्शन्स निम्नांकित हैं।
Activation of glucose - Glycolysis के प्रथम चरण में ही glucose के phosphorylation से इसे glucose 6 phosphate में परिवर्तित करने के लिए energy की आवश्यकता पड़ती है।
Glucose + ATP = Glucose 6 phosphate + ADP
Activation of long chain fatty acids - Glucose की glycolysis की भांति ही long chain fatty acids के beta oxidation के पहले चरण में भी fatty acid को coenzyme A के साथ जोड़कर activate करने की आवश्यकता होती है। इस रिएक्शन के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है जो ATP के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।
FFA + CoA + ATP = Acyl CoA + AMP + PPi
Oxidative phosphorylation
किसी पोषक पदार्थ से उसमें संग्रहित ऊर्जा को निकालने की प्रमुख विधि है उसका ऑक्सीडेशन। यह मुख्यतः माइटोकॉण्ड्रिया में संपन्न होती है। इससे निकली 80% ऊर्जा, AMP में एक फॉस्फेट ग्रुप जोड़कर ADP, एवं ADP में दूसरा फॉस्फेट ग्रुप जोड़कर ATP का निर्माण करती है इसलिए इस प्रक्रिया को oxidative phosphorylation भी कहते हैं।
Energy expenditure
आओ समझते हैं इस ऊर्जा का प्रयोग कहाँ कहाँ होता है।
- लगभग 25% - Protein synthesis के द्वारा शरीर के निर्माण में
- लगभग 25% - Na K ATPase pump को चलाने में जिसके द्वारा अन्य अनेक कार्य संपन्न होते हैं
- लगभग 5% - Ca K ATPase को चलाने के लिए
- लगभग 5% - Myosine ATPase pump को चलाने के लिए
- लगभग 5% - Urea के निर्माण के लिए
- लगभग 10% - Gluconeogenesis के लिए
Biological oxidation
किसी पोषक पदार्थ (nutrient) से उसमें संग्रहित ऊर्जा को निकालने की प्रमुख विधि है उसका ऑक्सीडेशन। केमिस्ट्री की भाषा में ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया तीन प्रकार से संपन्न हो सकती है।
उस पदार्थ में ऑक्सीजन का जुड़ना,
उस पदार्थ से हाइड्रोजन का निकलना अथवा
उस पदार्थ से इलेक्ट्रॉन्स का निकलना
इन प्रक्रियाओं में अनेक enzymes (proteins), coenzymes (nonprotein substances) एवं cofactors (ions) प्रयोग में आ सकते हैं।
ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया मुख्यतः माइटोकॉण्ड्रिया में संपन्न होती है। इससे निकली 80% ऊर्जा, AMP में एक फॉस्फेट ग्रुप जोड़कर ADP, एवं ADP में दूसरा फॉस्फेट ग्रुप जोड़कर ATP का निर्माण करती है इसलिए इस प्रक्रिया को oxidative phosphorylation भी कहते हैं।
Oxidases
यह ऑक्सीजन की मदद से किसी substrate में उपस्थित हाइड्रोजन को निकालकर उससे जल या H2O2 बना देते हैं।
Cytochrome oxidase एक आयरन एवं कॉपर युक्त hemoprotein है जिसमें हीमोग्लोबिन एवं मायोग्लोबिन की भांति heme prosthetic group मिलता है। यह respiratory chain के अंतिम भाग पर इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर में मदद करते हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य oxidases हैं, riboflavin से बनने वाले FMN एवं FAD से युक्त एन्जाइम्स जैसे xanthine oxidase, L-amino acid oxidase एवं aldehyde dehydrogenase।
Dehydrogenases
ऑक्सीडेशन की अनेक प्रक्रियाओं में ऑक्सीजन को जोड़ने के स्थान पर हाइड्रोजन को निकलने की प्रक्रिया अपनायी जाती है जो dehydrogenases enzymes द्वारा संपन्न होती है। यह विशेषरूप से anaerobic reactions (जैसे glycolysis) में प्रयुक्त होती है।
यह अधिकतर coupled oxidation-reduction reactions के रूप में कार्य करती हैं जिसमें एक hydrogen acceptor molecule पहले substrate A से हाइड्रोजन निकालकर उसे ऑक्सीडाइज करता है एवं इस प्रक्रिया में स्वयं हाइड्रोजन प्राप्त करके रिड्यूस हो जाता है। इसके अगले चरण में यह reduced hydrogen acceptor molecule इस हाइड्रोजन को एक अन्य substrate B से जोड़कर उसे रिड्यूस कर देता है एवं हाइड्रोजन के निकल जाने से स्वयं ऑक्सीडाइज हो जाता है।
Hydrogen acceptors in the body
i) Coenzymes of niacin
Vitamin niacin से दो प्रकार के coenzymes बनते हैं।
Nicotinamide adenine dinucleotide (NAD+) - यह oxidative metabolic pathways जैसे glycolysis, citric acid cycle एवं mitochondrial respiratory chain में प्रयुक्त होते हैं।
Nicotinamide adenine dinucleotide phosphate (NADP+) - यह reductive syntheses pathways जैसे fatty acid synthesis, steroid synthesis एवं pentose phosphate pathways में प्रयुक्त होते हैं।
ii) Coenzymes of riboflavin
Vitamin riboflavin से भी oxidases की भांति दो प्रकार के coenzymes बनते हैं। यह respiratory chain में इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर में सहायक होते हैं।
Flavin mononucleotide (FMN) - Riboflavin के phosphorylation से flavin mononucleotide (FMN) बनता है।
Flavin adenine dinucleotide (FAD) - FMN के AMP के साथ जुड़ने से flavin adenine dinucleotide (FAD) बनता है। यह FAD, hydrogen acceptor की भूमिका निभाता है जिससे यह एक H+ ग्रहण करके FADH एवं फिर दूसरा H+ ग्रहण करके FADH2 बनाता है।
ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया में एक H+ ग्रहण करके NAD+ या NADP+ क्रमशः NADH एवं NADPH बना लेते हैं।
अगले चरण में NADH एवं NADPH इस H+ को FAD को दे देते हैं जिससे वह पहले FADH एवं इसके बाद FADH2 में बदल जाता है।
FAD, flavoprotein cytochrome system का प्रथम hydrogen acceptor है जिसके बाद एक के बाद एक करके अनेकों एन्जाइम्स से होते हुए यह H+, cytochrome C oxidase तक पहुँचता है जो इसे O2 से मिलकर H2O में बदल देता है।
Oxygenases
यह दो प्रकार के होते हैं।
Dioxygenases - जो ऑक्सीजन के मॉलीक्यूल के दोनों ऑक्सीजन एटम्स को substrate के साथ जोड़ देते हैं।
Monooxygenases - जो ऑक्सीजन के मॉलीक्यूल के केवल एक ऑक्सीजन एटम को substrate के साथ जोड़ते हैं।
Cytochrome P450 - यह heme युक्त एक प्रमुख monooxygenase हैं जो मुख्यतः लिवर एवं आँतों के एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम में रहते हुए शरीर के बाहरी पदार्थों (xenobiotics; xeno = foreigner; जैसे drugs एवं toxins) को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। Cytochrome P450, steroidogenic organs (जैसे adrenals, testes, ovaries एवं placenta) के माइटोकॉण्ड्रिया में भी मिलते हैं जहाँ वह स्टेरॉयड हॉर्मोन्स के उत्पादन में भी मदद करता है।
Oxidoreductases
Oxidation एवं reduction में प्रयुक्त होने वाले एन्जाइम्स को oxidoreductases कहते हैं। यह चार प्रकार के हो सकते हैं,
Oxidases - जो hydrogen acceptor के रूप में ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं।
Dehydrogenases - जो hydrogen acceptor के रूप में ऑक्सीजन के अतिरिक्त कुछ अन्य पदार्थ (जैसे NAD+ एवं FAD+) का प्रयोग करते हैं।
Hydroperoxidases - जो hydrogen peroxide या अन्य peroxides को electron acceptor के रूप में प्रयोग करते हैं।
Oxygenases - जो ऑक्सीजन को सीधे ही किसी अन्य substrate molecule में पहुंचा देते हैं।
Cancel reply
About Me
विनम्र निवेदन
MCH PRAKASHAN का उद्दश्य पाठकों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी जानकारियों को हिंदी में अवगत कराना है।..
Read MoreVision & Mission
Vision
Realizing the Full Potential of the Digital Space, Universal Access to Research and Education related to Medical Concepts, Full Participation in spreading Awareness in our Mother language. To Drive a New Era of Knowledge, Self-Awareness, and Good Health !
Mission
Endorsement of the Most Complex Medical Concepts in the Easiest Way.
Recent Posts

- Video
- at 12 August, 2018
Antiplatelet Therapy

- Video
- at 18 Oct, 2021
Antiplatelet Therapy 4

- Text
- at 13 May, 2022