- by Dr. Shweta Sharma
- in Drug sensitive T.B.,
- at 13th March, 2023
Drug Sensitive टी. बी.

DRUG SENSITIVE टी. बी.
डॉ श्वेता शर्मा सह आचार्या मेडिसिन, डॉ विवेक यादव जूनियर रेजिडेंट मेडिसिन
लाला लाजपतराय स्मारक वैदिकीय महाविद्यालय, मेरठ
इतिहास-:
यह एक अत्यंत प्राचीन बीमारी है । 3300 वर्ष पूर्व के भारतीय और 2300 वर्ष पूर्व के चीनी लेखों में इसके प्रमाण दर्ज हैं।
इसके सबसे पुराने प्रामाणिक पुरातत्व अवशेष 9000 वर्ष पूर्व इजराइल के हैं जहाँ इसके अंश मिलें हैं।
भारत में TB का इतिहास:-
लगभग 2200 वर्ष पूर्व लिखे गए चरक संहिता के आठवें अध्याय चिकित्सा स्थान खंड में इस बीमारी का राजयक्षमा नाम से उल्लेख किया गया है।
इस बीमारी के विषय में तीन पाठों में वर्णन किया गया है जिनके नाम राजयक्षम, सोष निदान, एवम क्षतक्षिण चिकित्सा है।
इन पाठों में यह बताया गया है की ये बीमारियां लगभग एक जैसी है जिनके लक्षण एक हैं शरीर का क्षय होना।
महर्षि सुश्रुत ने इस बीमारी को contagious बताया है।
चरक संहिता में इसकी etiology में क्षय अर्थात wasting का नाम लिया गया है। कदाचित यहीं से इसे इसका वर्तमान नाम क्षयरोग मिला है।
Clinical presentation में त्रिरूप, शदरूप एवम एकदशरूप इस तरह से इस बीमारी को mild, moderate और severe रूप का वर्णन किया है।
इसी पाठ में महर्षि चरक ने रक्तस्थिवन नाम से Hemoptysis का उल्लेख किया है और यह बताया है की यह भी इस बीमारी का एक प्रमुख लक्षण है।
जितनी पुरानी यह बीमारी है उतना ही रोचक इसके नाम, इसके किस्से और इससे जुडी सामाजिक डर, अन्धविश्वास भी रहे हैं जो समय के साथ ओझल हो गए।
यह बीमारी उस दौर से मानव इतिहास को डराती आयी है जब यह माना जाता था की बीमारियां ईश्वर के प्रकोप हैं।
24 मार्च 1882 में Dr Robert Koch ने ऐसी कई सारी प्रचलित धारणाओं को असत्य साबित करते हुए यह प्रमाण दिया कि यह बीमारी Mycobacterium नमक एक जीवाणु की वजह से होती है।
वहीं से शुरू हुई इसके इलाज़ के शोध की प्रक्रिया आज के आधुनिक युग में इसे मिटाने की कोशिश कर रही है।
सन 1905 में अनेको शोध और महान कार्यों के लिए Dr Robert Koch को नोबेल पुरस्कार से गौरवान्वित किया गया था। इन्ही के नाम से आज tuberculosis को koch's disease भी कहते हैं।
आज यही कारण है की 24 मार्च को विश्व टी. बी. दिवस के रूप में देखा जाता है और प्रतिवर्ष नई नीतियों के साथ इससे लड़ने के लिए विश्वभर की अनेको संस्थाएं पुरजोर प्रयास के साथ आगे बढ़ती हैं।
विश्व स्वास्थ संगठन का इस 2022 वर्ष के टी. बी. दिवस का शीर्षक वाक्य था “Invest to end TB. Save Lives”
TB की बीमारी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
कुपोषण
भीड़ होना —जैसे छोटे से घर में ज्यादा लोगों का रहना
बंद कमरे में काम करना
Ventilation की कमी
गरीबी
कमजोर प्रतिकारक शक्ति
HIV संक्रमण
मधुमेह Diabetes Mellitus
अंतिम चरण के गुर्दे के रोग
Spread
T.B का एक मरीज यदि वर्ष भर इलाज रहित रह जाए तो 10 से 12 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
TB का मरीज खांसते छींकते और बात करते वक्त इस बीमारी को सूक्ष्म aerosols के द्वारा फैलाता है।
कमजोर प्रतिकारक शक्ति वाले व्यक्ति को यह बीमारी अतिशीघ्र ग्रसित करती है।
Investigations
Sputum AFB smear: Smear positive samples की औसतन 8-10 दिन में रिपोर्ट आ जाती है। Smear negative samples रिपोर्ट के लिए लगभग 2- 6 हफ्ते लगते हैं। Pulmonary TB की मुख्य जांच बलगम से होती है। बलगम ना बनने पर hypertonic saline या bronchoalveolar lavage से निकाला जाता है। इस टेस्ट से बीमारी के पकड़ में आने की संभावना सिर्फ 50 प्रतिशत है और इसमें cases छूटने का बहुत डर होता है। इसलिए जांच 1000 microscopic fields की जांच कर उसके बाद ही negative दर्शाया जाता है।
Auramine, Auramine Rhodamine O ये दो विशेष स्टेन led fluorescent सूक्ष्मदर्शी परीक्षण में उपयोग में लाए जाते हैं।
Lowenstein Jensen broth ( egg based solid culture) जैसी जांच में 4 से 8 हफ्तों में रिपोर्ट आती है। इसमें contamination का acceptance level 3-5% है। TB की confirmatory जांच के लिए culture कराना आवश्यक है।
CBNAAT/ XPERT MTB/RIF ASSAY यह एक महत्वपूर्ण जांच है जिसमे Mycobacterium ka rifampicin resistance बड़ी ही आसानी से टेस्ट किया जा सकता है। यह टेस्ट Real Time PCR का उपयोग कर 2 घंटे (testing time) में रिपोर्ट दे देता है।
TrueNAT टेस्ट quantitative real-time PCR का उपयोग कर M. Tuberculosis को परखती है। इसमें भी reflex test के जरिए rifampicin resistance देखा जा सकता है। इसमें 1 घंटा TB Bacteria के डिटेक्शन के लिए और 1 घंटा rifampicin resistance detection में अर्थात 2 घंटे लगते हैं।
Middlebrook में 3 से 4 हफ्तों में, Liquid Culture अथवा HPLC में यदि smear Positive हो तो 1 से 2 हफ्ते में रिपोर्ट आती है। Smear negative samples रिपोर्ट के लिए लगभग 2- 6 हफ्ते लगते हैं।
Drug Resistance के लिए line probe assay बहुत ही महत्व पूर्ण जांच है।
Line Probe Assay: Drug resistance को परखने के लिए यह जांच करवाते हैं । इसमें अनेकों दवाईयों से resistance एक ही बार में टेस्ट हो जाता है। जैसे Rifampicin, Isoniazid, Fluoroquinolones, second line injectable drugs इत्यादि। यह एक Molecular testing जांच है, 1-3 दिन में इसकी रिपोर्ट आ जाती है ।
Rapid TB Identification test एक immunological test है जो की solid या liquid culture growth पर टेस्ट किया जाता है। यह सिर्फ 15 mins में immunochromatography assay के माध्यम से TB bacteria को परख कर बता देता है।
Symptomatology
खांसी आना ।
बलगम में खून आना ।
बुखार आना ।
Unintentional वजन कम होना ।
थकान।
रात में पसीना आना।
शरीर में गांठे होना।
Presumptive TB - यदि किसी को लंबे समय से बुखार , खांसी, रात में पसीने आना और वजन कम होना यह सारे लक्षण है तो यह मान लिया जाता है की उसे TB हो सकती है।
Recurrent TB - यदि किसी को एक बार पूरी तरह इलाज लेने के बाद दुबारा बलगम में TB के बैक्टीरिया पाए जातें हैं।
Lost to follow up TB - यदि किसी ने कम से कम 1 महीने तक TB की दवा खाई हो और छोड़ दिया हो तो उसे Defaulter कहते थे अब इन के लिए lost to follow up इस नामांकन से संबोधित करते है।
Management:
Drug sensitive
TB की दवाइयों का course, HRZE रेजिमेंन कहलाता है।
इसमें शुरू के दो महीनो में HRZE अर्थात Isoniazid, Rifampicin, Pyrazinamide, Ethambutol 2 महीने intensive चरण में दी जाती है।
उसके बाद केवल HRE अगले 4 महीनो तक दी जाती है।
यदि मरीज ने पहले कभी इलाज लिया है तो HRZES रेजिमेन लेता है।
Regimen | Intensive Phase | Continuation Phase | Extension Criteria |
Drug Sensitive TB | (2) HRZE | (4) HRE | - |
Pregnancy | (2) HRE | (7) HR | - |
TB की दवाइयों को दो गुटों में वर्गीकृत किया गया है।
First line- प्रथम श्रेणी
H Isoniazid 75 mg
R Rifampicin 150 mg
E Ethambutol 275 mg
Z Pyrazinamide 400 mg
S Streptomycin 1000 mg
Second line -द्वितीय श्रेणी
Fluoroquinolones जिसमे Levofloxacin, Moxifloxacin एवम Gatifloxacin है।
Aminoglycoside Injectables- जिसमे Amikacin, Kanamycin, Capreomycin
Cycloserine
Para Amino Salicylic Acid
Ethionamide
Clofazimine
Rifabutin
Clarithromycin
Ampicillin Clavulanate
टी बी के मरीजों में वेट बैंड के हिसाब से दवाइयां देनी होती है। कितने बेड पर कितनी दवाइयां दी जाए इसका हिसाब निम्नलिखित है।
Fixed Dose Combination | ||
Weight band | Intensive phase | Continuation phase |
No. Of Tablets | No.of Tablets | |
25-34 kg | 2 | 2 |
35-49 kg | 3 | 3 |
50-64 kg | 4 | 4 |
65-74 kg | 5 | 5 |
>75 kg | 6 | 6 |
शरीर के रोगों अथवा कुछ विशेष परिस्थितियों में टी बी की दवाइयां निम्नलिखित रुप से चलाई जाती हैं।
जिगर रोगियों में TB
इस बीमारी में Pyrazinamide नहीं दी जाती है।
Isoniazid और Rifampin भी संभाल कर निगरानी में दिए जाते हैं।
इलाज के लिए Ethambutol, Streptomycin और Fluoroquinolones का उपयोग किया जाता है।
जिगर रोगियों में TB
ऐसे मरीज़ को Aminoglycoside दवाइयां तो कभी ना दें।
Isoniazid, Rifampin, Pyrazinamide ये दवाइयां mild से moderate बीमारियों में सामान्य डोज में दे सकते हैं।
Isoniazid और Pyrazinamide की डोज severe Renal failure में कम कर दें यदि मरीज Dialysis पर नहीं हो। Ethambutol यह दवा monitoring के साथ दी जा सकती है।
मिर्गी के रोगियों में TB
यदि ऐसे मरीजों में TB हो जाए तो Isoniazid से बचें यह दवा seizure अर्थात मिर्गी बढ़ा सकती है।
इनमे पहले सिर्फ ATT की दवा दो हफ्तों तक चलानी चाहिए उसके बाद ही ART चलानी चाहिए यदि CD 4 cells की मात्रा 50 से अधिक है तो ART 8 हफ्तों बाद चलानी चाहिए।
ऐसे सभी मरीजों में cotrimoxazole prophylaxis दिया जाता है।
Rifampin को Rifabutin से बदलना होता है। 2 महीने तक HRZE फिर उसके बाद 7 महीनो तक HRE चलाना चाहिए। Isoniazid का Prophylaxis इन मरीजों में 9 महीने तक चलता है।
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